नशा जब दौलत का लग जाये।
तो जिंदगी दौड़ने लगती।
सफर फिर जीवन का भी
सच में बिखरने लगता।
समय अभाव का कहकर
निभा नहीं पाते कर्तव्य।
क्योंकि समय तो दे रखा है
सिर्फ अपनी दौलत को।।
बड़े धनवान होकर भी
नहीं सम्मान पा पाते।
कभी भी दान धर्म आदि
इन्होंने किया ही नहीं।
तो फिर क्यों ये रोते है
जब मान सम्मान नहीं मिलता।
और समाज के कार्यक्रमों में
इन्हें कोई नहीं पूछता।।
न घर में कोई मिलता जुलता
इस तरह के लोगों से।
जिन्हें खुद ही नहीं पता
की घर में क्या कुछ चल रहा।
सुबह से रात तक बस इन्हें
सिर्फ चिंता रहती व्यापार की।
की कितना फायदा नुकसान
हुआ है इस महीने में।।
बड़ा बुरा है ये नशा
जो न सोने देता है।
और न ही अपनों से
कभी ये मिलने देता।
सभी से एक ही उम्मीद
लगाकर ये बैठे है।
कि किसी भी तरह से
अगले महीने लाभ ज्यादा हो।।