कभी उन्होंने देखा ही नही, 
मुझे उस नजर से।
जिसकी मैं उनसे,
चाहत रखती हूँ।
हूँ खूबसूरत तो क्या,
जब उनकी निगाहें।
मुझे पर ठहरती नहीं।
तो क्या जरूरत ऐसे,
रूप और यौवन का ?
चंदन सा सुगन्धित मेरा बदन।
उनको पास न लाता है।
और न ही उनके दिल में,
प्यार को जगा पाता  है।
जबकि मेरी खुशबू से,
बहुत भवरे मँडराते रहते हैं।
पर क्या करें ये फूल जो,
किसी की अमानत है।।
न तन सुंदर चाहिए,
न वस्त्र सुंदर चाहिए।
हमे तो उनका वो,
प्यार भरा एहसास चाहिए।
उनके छू भर लेने से,
दिल में तरंगे दौड़ जाएँगी ।
और फिर मैं उनमें ही,
हमेशा के लिए शमा जाऊँगी।।

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