Cricketer MS Dhoni

महेंद्र सिंह धौनी वाकई टाईमिंग के मामले में परफेक्ट हैं। ये इनकी सबसे बड़ी खासियत है। धौनी से मुलाकातें ज्यादा नहीं दो-चार बार ही हुईं पर उसके खेल के करियर को गौर से देखा है। खासकर जब वो इंडिया ए टीम का हिस्सा बने तो पहली बार उस पर ध्यान गया था। उन दिनों मैं रांची एक्सप्रेस में था। धौनी खेल संवाददाता चंचल भट्टाचार्य से मिलने आया करता था। उसका हाव-भाव या कहे बॉडी लैंग्वेज मुझे अच्छी लगी थी।

धौनी ने अपनी रेलवे की टीटीई की नौकरी छोड़ने के लिए भी सही वक्त चुना था। वक्त भी अब तक धौनी का साथ निभाता आ रहा है। जिस समय धौनी का चयन भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान पूर्वी क्षेत्र के सौरभ गांगुली थे। बोर्ड के अध्यक्ष भी पूर्वी क्षेत्र के जगमोहन डालमिया। जबकि इसके पहले लंबे अर्से तक मुंबईया खिलाड़ियों का वर्चस्व रहा था। इस एकाधिकार की प्रवृत्ति को कपिल देव ने तोड़ा था। कपिल ने टीम में उत्तर और उत्तर पश्चिम भारत के खिलाड़ियों को भी मौका दिलवाया। इसका सुखद परिणाम ये निकला कि 1983 में भारत ने वन डे क्रिकेट का विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया। #कपिल देव के लीडर के रूप में खुद आगे बढ़कर शानदार ढंग से खेलने और टीम के लिए प्रेरक बनने से भारतीय टीम का कायाकल्प हो गया। इस ऐतिहासिक जीत ने भारत में क्रिकेट को देश का सबसे लोकप्रिय खेल बना दिया।

कपिल के बाद अजहर और #सौरभ गांगुली ने भी भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया। कई सीरीज भी जिताए पर कपिल देव टाइप मजा नहीं आया।

धौनी और वक्त की जुगलबंदी ने बहुत ही करीने से सौरभ गांगुली के हाथ से कप्तानी छीनकर धौनी को सौंप दी। वो भी राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले, युवराज सिंह और सहवाग के रहते हुए।धौनी ने अपने चुनाव को सही साबित करते हुए टीम इंडिया को वन डे और T20 में भी विश्व चैंपियन बनाया। वे भारत के सफलतम कप्तानों में अव्वल बन गए। धौनी ने कई सीनियर खिलाड़ियों की जगह खाली होने पर युवा खिलाड़ियों को मौका दिया।

धौनी मुझे समकालीन खिलाड़ियों में सबसे बेहतरीन विकेटकीपर बैटसमैन नहीं लगते। #एडम गिलक्रिसट इस मामले में मेरी पहली पसंद हैं, लेकिन कप्तानी में धौनी के मुकाबले कोई नहीं टिकता। धौनी दिल की भी सुनते हैं और दिमाग की भी। दर्जनों क्रुशियल मैचों में अचानक से अपना बल्लेबाजी क्रम तोड़ कर वो खुद मैदान में पहुंच जाते हैं और टीम को संकट से निकाल कर जीत दिलाते हैं। जब टीम इंडिया फिल्डिंग कर रही होती है तो गेंदबाजी में अचानक अजीबोगरीब परिवर्तन कर वो विशेषज्ञों और बैट्समैन दोनों को हैरत में डालते हुए हाथ से निकले हुए कई मैच जिताते नजर आते हैं।

धौनी ने आस्ट्रेलिया में जब टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ी थी तो उसकी भी टाइमिंग एकदम सही थी। धौनी स्थितियों के आकलन करने में जितने माहिर हैं उतने ही निर्विकार भाव से निर्णय लेने में भी। जब उन्होंने वन डे और टी 20 की कप्तानी छोड़ी तो ये भी परफेक्ट टाइमिंग थी। धौनी जान गए थे कि अब विराट कोहली को पूरी जिम्मेदारी देने का सही वक्त आ गया है और वे इसमें रुकावट नहीं बनना चाहते थे । किसी को हटने को कहा जाए ऐसी नौबत आने से पहले खुद पद छोड़ देने में ही बड़प्पन है और इज्जत बरकरार रहती है।

#msDhoni

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *