पुरानी यादों के सहारे,
जिये जा रहा हूँ मैं ।
तुझे याद है कि नहीं,
मुझे कुछ पता नही।
तेरी बेरुखी अब मुझसे,
नहीं देखी जा रही।
तुझे कुछ पता है कि मैं
कैसे जी रहा तेरे बिना।।
मुझे मालूम होता कि,
मोहब्बत में ये सब होगा।
तो में निश्चित ही ये दिल,
किसी से भी ना लगता।
मगर मोहब्बत कोई करता,
नही सोच समझकर।
ये दिल तो अपने आप,
किसी से लग जाता है।।
मोहब्बत का दस्तूर ही,
कुछ ऐसा होता है।
किसको ख़ुशियाँ देता है,
तो किसको ग़म भी देता है।
यही तो जिंदगी का सही,
चक्र जीवन में चलता है।
किसको प्यार मिलता है,
किसको नफ़रत मिलती।।
मोहब्बत करने वालो का,
अलग ही अंदाज़ होता है।
पुरानी यादों के सहारे,
जिये जा रहा हूँ मैं।
और जमाने के दर्द को
पिये जा रहा हूँ अब तक।।

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