kajol

आज अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से बॉलीवुड में नेपोटिज्म मीडिया में सबसे अधिक चर्चित विषय चल रहा है। खासकर टीवी चैनलों में तो ये मुद्दा खूब छाया रहा है।

आज बॉलीवुड की एक काबिल अभिनेत्री काजोल का जन्मदिन है। उनका परिवार फिल्मों से तीन पीढ़ियों से जुड़ा रहा है। काजोल की नानी शोभना समर्थ हिंदी सिनेमा के शुरुआती दौर में अभिनेत्री रही हैं। इनकी मां तनुजा भी अपने दौर की चर्चित हीरोइन रही हैं। इनके पिता शोमू मुखर्जी फिल्म निर्माता थे। इस तरह से अगर देखा जाए तो काजोल को भी नेपोटिज्म के घेरे में लोग डाल सकते हैं लेकिन इस नेपोटिज्म पर दृष्टि और विचार थोड़ा स्पष्ट होना चाहिए। मेरा विचार है कि अगर कोई भी व्यक्ति किसी क्षेत्र में काम करता है और उसमें सफल होता है तो उसकी संतान व अन्य रिश्तेदारों के लिए उस क्षेत्र में का शुरू करने में सुविधा होती है।

सफल व्यक्ति के कांटेक्ट का इस्तेमाल उनके बेटे – बेटियां, भाई या अन्य रिश्तेदार तथा उससे भी आगे जाएं तो पड़ोसी व परिचित भी उस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए करते रहे हैं। इसमें मुझे कोई बुराई नजर नहीं आती है। खासकर फिल्म निर्माण जैसे निजी पूंजी पर चलने वाले काम में तो यह रिवाज चल ही रहा है। खैर इसके बाद भी कई ऐसे बड़े नाम हैं जिनके परिवार का कोई व्यक्ति फिल्मों से नहीं जुड़ा हुआ था फिर भी उन्होंने अपनी मेहनत, लोगों से संबंध बनाने की कला और किस्मत की बदौलत खासा मुकाम हासिल किया है जैसे शाहरूख खान, इरफान, नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे दर्जनों नाम गिनाए जा सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ अगर हम देखें तो ऐसे कई नाम हैं जिनके पिता ने उन्हें खुद और अपने कांटेक्ट के माध्यम से बेटे व बेटियों को स्थापित करना चाहा लेकिन सफल नहीं हुए क्योंकि दर्शकों ने उन्हें नकार दिया। कुछ नाम गिनाता हूं जैसे अभिनेता राजेंद्र कुमार के बेटे कुमार गौरव को पहली फिल्म लव स्टोरी और नाम के सुपर हिट होने के बाद भी फिल्मों से किनारा करना पड़ा था। इसी तरह मनोज कुमार के बेटे व शशि कपूर का बेटे भी जगह नहीं बना पाए क्योंकि दर्शकों ने नकार दिया।

अब काजोल की बात करे तो उनकी पहली फिल्म बेखुदी साधारण थी लेकिन उसके बाद बाजीगर में इन्होंने खुद को इंप्रूव किया और नेगेटिव रोल में होने के बाद भी शिल्पा शेट्टी से ज्यादा शोहरत बटोरी।

दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे
1995 से काजोल की दुनिया ही बदल गई वो टॉप की हिरोइन में शुमार हो गई। इनकी शाहरूख व सलमान के साथ आई फिल्म #करन_अर्जुन हिट हुई। दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में सिमरन के रोल काजोल दर्शकों को बहुत पसंद आईं। Ddlj ने हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक अलग मुकाम बनाया। इसने सुपर हिट फिल्म शोले के एक हॉल में लगातार पांच साल तक चलने का रिकार्ड ध्वस्त कर दिया।

कुछ कुछ होता है
करण जौहर के निर्देशन में बनी #कुछ_कुछ_होता_है (1997) भी सुपर हिट हुई थी। इसमें भी काजोल ने कॉलेज की टॉमबॉय टाइप लड़की अंजलि के किरदार को अच्छी तरह निभा कर अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ी है। इसके अलावा गुप्त फिल्म में भी इन्होंने एक बार फिर नेगेटिव रोल करने का साहस दिखाया था। आमिर खान के साथ इश्क़ फिल्म भी चली थी।

प्‍यार किया तो डरना क्या
सलमान के अपोजिट रोल वाली फिल्म प्‍यार किया तो डरना क्या भी काजोल की हिट फिल्म है। इसके अलावा प्यार तो होना था भी सफल रही थी।

फना में सबसे बेहतरीन भूमिका
काजोल ने अब तक सबसे यादगार भूमिका आमिर खान के साथ लीड रोल वाली फिल्म #फना में निभाई है। नेत्रहीन कश्मीरी युवती जूनी के रोल को काजोल ने शिद्दत से निभाया है। वे पहले टूरिस्ट गाइड बने रेहान (आमीर खान) से प्रेम करने तथा उसके आतंकवादी बनने पर उसे मारने जैसी सशक्त महिला के किरदार के बदलते भावों को अच्छी तरह दिखाने और दर्शकों के दिल में उतरने में कामयाब रहीं हैं।

माई नेम इज खान, कभी खुशी कभी गम व तान्हाजी इनकी उल्लेखनीय फिल्में हैं।
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