हिन्दी सिनेमा में “चौदहवीं का चांद हो या आफ़ताब हो”… (चौदहवीं का चांद) या फिर “प्यार किया तो डरना क्या”…(मुग़ले आज़म) जैसे गीतों के जरिये अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले मशहूर शायर और गीतकार “शकील बदायूँनी” जी का आज जन्म दिवस है। (3 अगस्त 1916 – 20 अप्रैल 1970) वर्ष 1947 में अपनी पहली ही फ़िल्म दर्द के गीत ‘अफ़साना लिख रही हूँ…’ की अपार सफलता से शकील बदायूँनी कामयाबी के शिखर पर जा बैठे। क़रीब तीन दशक के फ़िल्मी जीवन में लगभग 90 फ़िल्मों के लिये गीत लिखे। जिनमें प्रमुख
गीत हैं-
जरा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाये.. (बीस साल बाद)
नन्हा मुन्ना राही हूं देश का सिपाही हूं… (सन ऑफ़ इंडिया)
ओ दुनिया के रखवाले.. (बैजू बावरा)
दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पड़ेगा (मदर इंडिया)
अपनी आज़ादी को हम…(लीडर)
तेरे हुस्न की क्या तारीफ करूँ…(लीडर)
होली आई रे कन्हाई होली आई रे (मदर इंडिया)
ना जाओ सइयां छुड़ा के बहियां.. (साहब बीबी और ग़ुलाम)
नैन लड़ जइहें तो मन वा मा कसक होइबे करी.. (गंगा जमुना)
दिल लगाकर हम ये समझे ज़िंदगी क्या चीज़ है.. (ज़िंदगी और मौत)
मेरे महबूब तुझे मेरे मोहब्बत की कसम…(मेरे महबूब)
फ़िल्मफेयर पुरस्कार
वर्ष 1960 में चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो… (चौदहवीं का चांद)
वर्ष 1961 में हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं… (घराना)
वर्ष 1962 में कहीं दीप जले कहीं दिल… (बीस साल बाद)
हिंदी सिनेमा के ऐसे महान शायर एवं गीतकार को शत शत नमन…