गुजरात में दलित पत्रकारिता प्रारंभ सात-आठ दशक से पहले हो चुका है तथापि उसकी स्पष्ट छवि अब तक नहीं बन पायी। दलित पत्रकारिता अर्थात वर्ण व्यवस्था, जाति प्रथा,अस्पृश्यता एवं सामाजिक भेद-भाव का शिकार बना हुआ जनसमूह, जो इस देश में… Read More

गुजरात में दलित पत्रकारिता प्रारंभ सात-आठ दशक से पहले हो चुका है तथापि उसकी स्पष्ट छवि अब तक नहीं बन पायी। दलित पत्रकारिता अर्थात वर्ण व्यवस्था, जाति प्रथा,अस्पृश्यता एवं सामाजिक भेद-भाव का शिकार बना हुआ जनसमूह, जो इस देश में… Read More
किसी भी भाषा की सशक्तता एवं समर्थता तभी निश्चित होती है, जब उसमें सूक्ष्म विचारों एवं भावनाओं को अभिव्यक्त करने की क्षमता हो। दूसरे शब्दो में कहें तो — माधुर्य, सरसता और प्रांजलता भाषा के श्रेष्ठ गुण हैं। लोक-साहित्य इन… Read More