मिले जितने भी अब तक,
मोहब्बत करने के लिए।
मोहब्बत कम थी उन्हें,
नजर बस पैसे पर थी।
आज कल यही माहौल,
जमाने में चल रहा।
इसलिए अब मोहब्बत का,
अहसास दिलो में नहीं बचा।।
समझ पाये ही नही,
किसी को अब तक हम।
करे कैसे शुरुआत हम,
मोहब्बत के इस जमाने में।
यहां कोई किसी का नही,
सभी स्वार्थ में लिप्त हैं।
मिलेगा जब भी उन्हें मौका,
लगा देंगे वो भी चौका।।
मुझे अब तक कितनों ने,
लगाया चुना अपना बनकर।
अभी तक कोई नही मिला,
एक अच्छा और सच्चा दोस्त।
जमाना बहुत खराब है,
इसे समझो तुम सब।
वरना होगा वो ही हाल,
जो अब तक मेरा हुआ है।।