एक पल में हालात बदलते देखा है
साँझ से पहले सूरज ढलते देखा है…
कल तक जो मुझपे जान लुटाते थे
आज उन ही के हाथों में मैंने खंजर देखा है…।
दिल के क्या हालात बताऊँ…?
एक उदासी फैली है….
बहुत दिनों के बाद मैंने दिल के अंदर देखा है…।
मुझको ये एहसास हुआ क्यों मैं तो पत्थर था…
अपनी सूखी आँखों से दरिया बहते देखा है…।
लहरों का तो काम ही है आने का और जाने का…
पहले भी तनहा था “ साहिल” आज भी तनहा
देखा है…।
तुम पर कोई इल्ज़ाम नहीं ना कोई दोष नसीबों का…
अपने ख्वाबों को अक्सर मैंने ऐसे ही लुटते देखा है…।
मीना कुमारी की एक बेहतरीन शायरी जो उन्होंने तालाक के समय लिखा था दिल को छू लेने वाली थी : –
“तालाक दें रहें हों मुझे कहर के साथ, मेरा शबाब भी लौटा दो मेरे मेहर के साथ”।
आप ने जीवन के कुछ पलों को हमारे सामने जीवन्त प्रस्तुत किया जिससे साहित्य सिनेमा सेतु को एक नई उड़ान दी है