सबसे पहले हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि नेपोटिज़्म शब्द की उत्पत्ति कहाँ से हुई और कैसे? नेपोटिज़्म शब्द एक इटालियन शब्द Nepotismo एवं लैटिन भाषा Nepos से लिया गया है। जिसका अर्थ होता है नेफ्यू यानी भतीजा।
17 वी शताब्दी में कैथोलिक चर्च के पॉप और विशप हुआ करते थे। जिन्हें शादी करने की अनुमति नहीं थी । इसलिए वे अपने भतीजे, परिवार के अन्य सदस्य, मित्रों के बेटे-बेटियों को चर्च के महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्त कर दिया करते थे। और अपने उत्तराधिकारी के तौर पर अपने नेफ्यू (भतीजे) को अगला पॉप या बिशप बना देते थे। यहीं से नेपोटिज़्म शब्द की उत्पत्ति मानी जाती है।
         अब हम थोड़ा और पीछे चलते हैं । भारत के इतिहास में एक व्यवस्था हमेशा से चली आ रही है। जिससे हम वर्ण व्यवस्था कहते हैं। वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मण का पुत्र ब्राह्मण वाले कार्य करेगा (जैसे शिक्षा, पूजा-पाठ, पुरोहित, मंदिरों में पूजा-पाठ संबंधी कार्य), क्षत्रिय (युद्ध कला, शत्रुओं से रक्षा, देश की सीमाओं की रक्षा आदि), वैश्य (वाणिज्य,व्यापार आदि) और शूद्र (उद्योग एवं कला) यानी जिस परिवेश में परिवार में हम जन्म लेंगे वही कार्य हम करेंगे।
   अगर हम अपने पौराणिक कथाओं का गहन अध्ययन करें तो हम पाएँगे कि उस समय भी भाई भतीजावाद हुआ करता था। महाभारत काल में धृतराष्ट्र और पांडु दोनों राजा बने। लेकिन वह दोनों राजा बनने के योग्य नहीं थे। क्योंकि धृतराष्ट्र अंधे और पांडु शारीरिक रूप से हमेशा स्वस्थ रहा करते थे। अगर देखा जाए तो विदुर सही मायने में राजा बनने के योग्य थे। परंतु वह एक दासी पुत्र थे और वह कुरु वंश के नहीं थे। जिस कारण उन्हें राजा नहीं बनाया गया। उसी प्रकार धृतराष्ट्र अपने पुत्र सुयोधन उसे राजा बनाना चाहते थे। लेकिन पांडु के ज्येष्ठ पुत्र युधिष्ठिर राजा बनने की योग्य थे। देखा जाए तो भाई भतीजावाद और अपने परिवार के लोगों को सत्ता हस्तांतरित करने के कारण इतना भयंकर युद्ध हुआ। यह तो बात हुई मिथक की। लेकिन हम अपने आसपास ध्यान से देखें तो हम पाएँगे कि हमारे आसपास भी भाई भतीजावाद है। एक डॉक्टर  बेटा आसानी से डॉक्टर बन जाता है, वही एक वकील का बेटा, उसे वकील बनने में ज्यादा परेशानी नहीं होती क्योंकि उसे बना बनाया क्लाइंट  और ऑफिस  मिल जाता है या कोई बिजनेसमैन का बेटा बिजनेस करने में उसे ज्यादा कठिनाइयाँ नहीं होती। इसके पीछे सिर्फ इतना ही कारण है कि वह जिस परिवेश में जन्म लेता है,पलता बढ़ता है उस परिवेश को वह बचपन से देखता है। जिसके कारण वह उस पेशा से परिचित हो जाता है। और उसे शुरुआत करने में आसानी हो जाती है। राजनीति में भी हम यही देख सकते हैं कितने ऐसे अयोग्य व्यक्ति नेता बन जाते हैं क्योंकि उनके परिवार के सदस्य (दादा-दादी, माता-पिता, भाई या परिवार के अन्य सदस्य आदि) पहले से नेता होते हैं। ऐसे बहुत सारे उदाहरण आप गूगल के माध्यम से देख सकते हैं। इस तरह देखा जाए तो हर फील्ड में नेपोटिज़्म है फिर भारतीय फ़िल्म उद्योग पर ही नेपोटिज़्म का आरोप हमेशा से क्यों लगता आ रहा है।
अब हम बात करते हैं भारतीय फ़िल्म जगत के वैसे अभिनेता अभिनेत्रियों की जो फ़िल्मी परिवार से नहीं आते हैं फिर भी वह सुपरस्टार बने। ऐसे हजारों उदाहरण है जैसे दिलीप कुमार, राजकुमार, राजेंद्र कुमार, धर्मेंद्र, जितेंद्र, अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, ओमपुरी, मनोज बाजपेई, नाना पाटेकर, नसरुद्दीन शाह, अक्षय कुमार, जॉन इब्राहिम, रणवीर सिंह, इरफान खान, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राजकुमार राव, आयुष्मान खुराना आदि अनेकों नाम है।  अब हम बात करते हैं अभिनेत्रियों की रेखा, ऐश्वर्या राय बच्चन, सुष्मिता सेन, जूही चावला,विद्या बालन, दिव्या भारती, माधुरी दीक्षित,अनुष्का शर्मा, कंगना राणावत, दीपिका पादुकोण, ताप्सी पन्नू आदि अनेकों अभिनेत्रियाँ, डायरेक्टर और म्यूजिक डायरेक्टर आदि भारतीय फिल्म उद्योग में हजारों की संख्या में होंगे जो बाहर से आकर फ़िल्म जगत पर सर्वोत्तम स्थान पर काबिज हुऐ।  सिर्फ और सिर्फ अपनी योग्यता के बल पर।
अब हम वैसे अभिनेता अभिनेत्रियों का उदाहरण देखते है जो फ़िल्मी परिवार से आते हैं। फ़िल्मी परिवार के होने के बावजूद भी वह लोग उपरोक्त अभिनेता और अभिनेत्रियों के समकक्ष दूर दूर तक नहीं। उदय चोपड़ा  (डायरेक्टर प्रोड्यूसर यश चोपड़ा के बेटे और डायरेक्टर प्रोड्यूसर आदित्य चोपड़ा के भाई), गिरीश कुमार तौरानी  (प्रोड्यूसर कुमार एस. तौरानी टिप्स के मालिक), सूरज पंचोली(अभिनेता आदित्य पंचोली के बेटा), आतिया सेठी (अभिनेता सुनील शेट्टी की बेटी), मिमोह चक्रवर्ती (अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती के बेटा), टीना अहूजा (गोविंदा की बेटी), सिकंदर खेर (अनुपम खेर का बेटा), हर्षवर्धन (अनिल कपूर का बेटा), मुस्तफ़ा (अब्बास मस्तान का बेटा) ऐसे अनेकों उदाहरण है जो फ़िल्मी परिवार के होने के कारण उन्हें पहला ब्रेक आसानी से तो मिल गया पर वह खुद को स्थापित न कर पाए। क्योंकि उनके पास हुनर,काबिलियत नहीं थी। वहीं दूसरी तरफ रितिक रोशन, वरुण धवन, रणवीर कपूर, शाहिद कपूर, श्रद्धा कपूर, आलिया भट्ट आदि अपने हुनर के दम पर उस स्थान पर काबिज हैं न कि नेपोटिज़्म के कारण।
इसलिए मेरा यह मानना है कि हम जिस परिवार से आते हैं, जिस परिवेश में पलते हैं उस परिवार और परिवेश का पेशा हम आसानी से ग्रहण कर लेते हैं। चाहे वह डॉक्टरी हो, वकील हो, बिजनेस हो, राजनीति हो, शिक्षा हो, फ़िल्म जगत हो। लेकिन उस पेशे में आपका स्थान आपकी काबिलियत के कारण ही बनती है।

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