अंधेरा भाग जाएगा हमी रास्ते तलाशेंगे
“उजाले के लिए मिट्टी के फिर दीये तलाशेंगे”
बुरे लोगों की है बस्ती मगर विश्वास है हमको
मिलेंगे लोग अच्छे हम अगर अच्छे तलाशेंगे
चलो चलते चलो एक दिन ज़माना साथ आएगा
अभी जो दूर हैं हमको वही अपने तलाशेंगे
बना दें राह उजली हम चले जिस पे नई दुनिया
हमारे बाद वो रास्ते नए बच्चे तलाशेंगे
जो हैं खुद्दार वह भूखे मरेंगे झुक नहीं सकते
कभी दरबार में जाकर नहीं टुकड़े तलाशेंगे
अगर टूटेगा इक सपना नया फिर से गढ़ा जाए
हमारा हौसला है नित नये सपने तलाशेंगे
अंधेरा दूर करने एक दिया ही बहुत पंकज
मगर हर हाथ में दीपक लिये बंदे तलाशेंगे…

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