मिश्री जैसी मधुर है हमारी बोली
हम प्रेमी पान मखान और आम के
भगवती भी जहाँ अवतरित हुईं
हम वासी हैं उस मिथिला धाम के

संतानों को जगाने मिथिला की माएँ
सूर्योदय से पूर्व गाती हैं प्रभाती
सुनाकर कहानियाँ ज्ञानवर्धक
मिथिला की दादी बच्चों को सुलाती

प्रतिभा जन्म लेती है यहाँ पर
कला और सौंदर्य का संसार है
दिखती यहाँ प्रेम की पराकाष्ठा
विश्व प्रसिद्ध हर त्योहार है

संस्कारों से सुसज्जित मिथिला
संस्कृति ही इसकी पहचान है
शांति और उन्नति की शिक्षा देता
हमारा मिथिला सबसे महान है।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *