desh ka bura haal

लूटकर अपना सब कुछ
अभी तक तो जिंदा है।
रहमो कर्मों पर उसके
अभी तक जी रहे है।
किसी और की करनी का
फल पूरा विश्व भोग रहा है।
और फिर भी शर्म उन्हें
बिल्कुल भी नहीं आ रहा।।

कितना जहरीला होता है
आज का ये इंसान।
जो विपत्ति में भी अपने
मुंह से जहर उगल रहा है।
और निर्दोषों को आपस में लड़वा जा रहा है।
बेशर्मता की अब तो
बहुत हद हो गई।
क्योंकि नियमों की धज्जियाँ
नेता ही उड़ा रहे।।

अब देखों भक्तों
वक्त बदल रहा है।
जहर उगलने वालों
पर ही कहर ढा रहा है।
एक-एक करके सारे
मैदान में आ रहे है।
और अपनी करनी का
फल भोगे जा रहे हैं।।

भाग्यविधा किसी को
भी नहीं छोड़ता है।
अपने पर हुए अत्याचारों का
हिसाब किताब ले रहा है।
जो खुदको भगवान समझ बैठे थे
खुद रेहम की भीख मांग रहा है।
और चौखट पर भगवान की
नही पहुंच पा रहा है।
क्योंकि उन्होंने अपने द्वार
इंसानों को बंद कर दिए है,
बंद कर दिए…।।

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