जोड़ जोड़कर तिनका, पहुंचे है यहां तक।
अब में कैसे खर्च करे, बिना बजह के हम।
जहां पड़े जरूरत, करो दबाकर तुम खर्च।
जोड़ जोडक़र ……।
रहता हूँ मैं खिलाप, फिजूल खर्च के प्रति।
पर कभी न में हारता, मेहनत करने से ।
और न ही में हटता, अपने फर्ज से।
पैसा कितना भी लग जाये, वक्त आने पर।।
बिना वजह कैसे लूटा दू,अपने मेहनत का फल।
सदा सीख में देता हूँ, अपने बच्चो को।
समझो प्यारे तुम सब, इस मूल तथ्य को।
तभी सफल हो पाओगे, अपने जीवन में।।
क्या खोया क्या पाया, हिसाब लगाओ तुम।
जीवन भर क्या किया,जरा समझ लो तुम।
कितना पाया कितना खोया, सही करो मूल्यांकन।
खुद व खुद समझ जाओगे, जीवन को जीने का मंत्र।।