16 अप्रैल 1853 में भारत की भूमि पर रेल का आगाज हुआ । आज से लगभग डेढ़ सौ साल पहले अंग्रेजों द्वारा ही सही भारत के विकास के लिए रथ तैयार किया गया । क्या पता था यही रेलवे भारत की अर्थव्यवस्था में दौड़ती नसों की तरह फैल जाएगी । भारतीय रेल दुनिया में चौथे सबसे बड़ी रेल व्यवस्था है और पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कर्मचारी भारतीय रेलवे में काम करते हैं जिनकी संख्या लगभग 120000 तक है ।देश की आजादी में भारतीय रेलवे ने बड़ा योगदान दिया गांधीजी का जुड़ाव रेल से काफी रहा हमारा देश और पूरा विश्व महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है इसी कड़ी में भारतीय रेल विकास के नए आयाम को छू रही हैं । उदाहरण के तौर पर लखनऊ से दिल्ली के बीच तेजस एक्सप्रेस देश की पहली प्राइवेट ट्रेन है जो पटरी पर दौड़ते किसी हवाई जहाज से कम नहीं । वंदे भारत एक्सप्रेस (ट्रेन 18) जो यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं दे रहा है और यह मेक इन इंडिया की बड़ी सफलता को प्रदर्शित भी करता है ।
भारतीय रेलवे रोजाना ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या के बराबर यात्रियों को अपनी मंजिल तक पहुंचाता है । 16 सितंबर को देश में सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बंद करने की मुहिम में सबसे पहले भारतीय रेलवे आगे आया रेलवे का विकास यह दर्शाता है किस-किस प्रगति पथ पर है उसी कड़ी में निर्माणाधीन पूर्वी व पश्चिमी मालगाड़ी गलियारा जो देश की आर्थिक व्यवस्था को दुरुस्त करेगा साथी माल ढुलाई के द्वारा भारतीय रेल की आमदनी में भी खासा बढ़ोतरी होगी ।
वर्तमान में भारतीय यात्री अधिक पैसा खर्च करने के लिए भी तैयार है ताकि उन्हें बेहतर सुविधाएं दी जा सके और भारत सरकार और भारतीय रेल इसमें कहीं भी पीछे नहीं । इसके साथ ही सामान्य लोगों की यात्राओं को सुखद बनाने के लिए अंत्योदय जैसी नई ट्रेनों का संचालन , सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने की कवायद शुरू है ।
भारतीय राजनीति गवाह रही है कि किस प्रकार रेलवे का तुष्टीकरण किया गया , उसने रेलवे की पटरी पर बोझ को 3 गुना बढ़ा दिया जिसका कारण हादसे परंतु अब तुष्टीकरण की राजनीति को छोड़कर आवश्यक मूलभूत ढांचे में सुधार करने पर बल दे रहा है ; ताकि भविष्य की मांगों को पूरा किया जा सके ।
भारतीय रेलवे की सबसे महत्वाकांक्षी योजना जो मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की है जिसकी गति 320 किलोमीटर प्रति घंटा होगी इसे देश की आजादी के 75 में वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है ।
कुछ असामाजिक तत्व ऐसे भी हैं जो देश में किसी भी प्रकार के अच्छे कार्यों को स्वीकार नहीं कर सकते । अच्छी सुविधाओं का दोहन करना इनकी मानसिकता बन चुका है आधुनिक ट्रेनों पर पत्थर फेंकना लोगों की सुविधाओं के लिए लगाए गए एलसीडी स्क्रीन को उखाड़ देना यह दर्शाता है कि हमें आधुनिक वस्तुओं से पहले लोगों की मानसिकताओं को आधुनिक भारत के अनुरूप बनाना आवश्यक है ।