उलझी किस्मत सुलझी जिंदगी
किस को क्या दे सकती है।
जीने मरने में भी तो
किस्मत साथ देती है।
पर करना तो तुझे पड़ेगा
इसके लिए परिश्रम।
छोड़ दे तू चिंता
मेहनत का फल मिलेगा।।
खुदके कर्मों से बड़कर
नहीं आधार जीवन का।
लेकर संकल्प जीवन में
तुझको चलना पड़ेगा।
मिट जायेगा अंधेरा
जब तू अच्छा सोचेगा।
और इसे प्रमाणित करके
लोगों को दर्पण दिखायेगा।।
सुख दुख मन की सोच है
करे विचार इस पर।
जो सोचे सिर्फ सुख को
उस पर ही दुख आये।
इसलिए कहता संजय
जो दुख को अपनाये।
वही सुखी जीवन
इस संसार में पाये।।