मान मिले सम्मान मिले, 
नारी को उच्च स्थान मिले।
जितनी सेवा भक्ति वो करती।
उस से ज्यादा सम्मान मिले।
यही भावना हम भाते,
की उसको यथा स्थान मिले।।
कितना कुछ वो, 
दिनरात करती है।
घर बाहर का भी
देखा करती है।
रिश्तेदारी आदि निभाती।
और फिरभी वो थकती नहीं।।
किये बिना आराम वो, 
काम निरंतर करती है।
न कोई छुट्टी न ही वेतन,
कभी नहीं वो लेती है।
फिरभी निस्वार्थ भाव से,
ख्याल सब का रखती है।
ऐसी होती है महिलाएं,
जो प्यार सभी करती है।।
करती है जो कार्य वो, 
कोई दूजा न कर सकता।
सब की सुनती,
सबको सहती।
फिर भी विचलित,
वो होती नहीं।
लगी रहती दिन भर वो,
अपने घर के कामो में।।
आओ सब संकल्प ले। 
महिला दिवसके अवसर पर।
सदा ही देंगे उनको,
हम सब सम्मान अब।
क्योंकि वो है हम,
सबकी जो जननी है।
सहनशीलता की इस देवी को,
कुछ तो आज उपहार दे।
अपने मीठे वचनो और मुस्कान से।
क्यों न हम उसका सम्मान करे।।

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