सागर से भी गहरा है,
हमारा रिश्ता।
आसमान से भी ऊंचा है,
हमारा रिश्ता।
दुआ करता हूँ
ईश्वर से की।
ऐसा ही बना रहे
हमारा रिश्ता।।
देखे बिना जान लेता हूँ।
बोले बिना ही तुम्हें, 
पहचान लेता हूँ।
रूह का रूह से जो है,
हमारा रिश्ता।
इसलिए तो हर आहट,
तेरी जान लेते है।।
अब तो खुशियों से, 
दूर रहा करता हूँ मैं।
अंधेरों में जीने का,
आदि हो गया हूँ मैं।
जब से गई है वो,
मेरी जिंदगी से दूर।
तभी से अंधेरों में,
जीने का आदि हो गया।।

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