भावाभिव्यक्ति का ज्ञान नहीं
केवल वक्ष व नितंब हिलाती है
फूहड़ गीतों पर हुड़दंग मचा
समाज में अश्लीलता फैलाती है
उघाड़ती है जितना तन अपना
दर्शकों से उतना धन वो पाती है
नग्नता ही होती है आधुनिकता
अपने कुतर्कों से समझाती है
ईश्वर प्राप्ति का साधन है नृत्य
यह उसको समझ नहीं आती है
करके अपमान नृत्य कला का
भारत की नर्तकी कहलाती है
(मशहूर नृत्य प्रशिक्षिका सरोज खान जी को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि)