(मित्रों, मैंने यह रचना डॉ. कलाम के प्रमुख सिद्धांतों से प्रभावित होकर लिखी है इसलिए इसमें बहुत सी ऐसी बातें हैं जो सामान्य होते हुए भी सामान्य नहीं है। जिसे मैंने कुछ बिन्दुओं को निर्धारित करते हुए आप सब तक देश की वर्तमान स्थिति के जरिए उसे प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। अतः जब आप उनके सिद्दांतों से रूबरू होंगे तब आपको मेरी यह रचना “इस देश की पहचान अब कलाम बने” और भी अधिक आकर्षित करेगी )
न हिन्दू बने न इस्लाम बने,
इस देश की पहचान अब ‘कलाम’ बने…

युवा-
इस देश के युवा अब सो न सके,
ऐसे मन-मष्तिष्क में उनके स्वप्न जगे,
हो कितने भी कठिन डगर तो क्या,
मैं सबसे अच्छा हूँ, मैं यह कर सकता हूँ,
उनकी सोच अब अर्जुन की तीर कमान बने,
सिग्नेचर ऑटोग्राफ में बदले,
सफलता के निशान बने,
देश का नाम बढ़े सदा,
वे भी सचिन, लता, अमिताभ बने
न हिन्दू बने न इस्लाम बने,
इस देश की पहचान अब ‘कलाम’ बने…

धर्म-
टूटे जाति पाति मज़हब की डोर,
फैले भाईचारे की खुशबू हर ओर,
प्यार की भाषा ही सब बोले और समझे,
ऐसी कोई ज़बान बने
न गोधरा बने न मुजफ्फरनगर बने,
इस देश की पहचान अब सारनाथ व कुशीनगर बने…

समाज-
किसी के काम जो आ न सके, ऐसे न कभी धनवान बने,
सबके सुख-दुःख को समझे इतना तो सहिष्णु इन्सान बने,
इस देश के बच्चे, बूढ़े, और जवान,
नित अच्छे कर्म से अपने महान बने,
हम सब हैं भारत माँ की संतान,
सदा तिरंगे की आन-बान और शान बने,
न गीता बने न कुरान बने,
इस देश की पहचान अब हर अच्छा इन्सान बने…

व्यवस्था-
सारी अव्यवस्थायें ख़त्म हो, भ्रष्टाचार का न राज रहे,
न सोर्स की जरुरत हो न सिफारिश का ही काम रहे,
हुए आज़ादी के कई वर्ष,
बिन रिश्वत अब तो बात बने,
न चोरी बने न जमाखोरी बने,
इस देश की पहचान अब व्यवस्थाएं सभी पारदर्शी बने…

पड़ोसी देश-
बहुत लिख चुके हैं प्रेम पत्र,
अब दूसरी भी राग बने,
बर्फ से पिघलते रहें हम कब तक,
अब तेज ज्वाला सी आग बने,
न दहले कभी दिल्ली और मुम्बई,
इतना तो सक्षम हिंदुस्तान बने,
न केवल गाँधी बने न नेहरु बने,
इस देश की पहचान अब तो भगत, आज़ाद, सुभाष बने…

नेता-
न शातिर बने न बेईमान बने,
इस देश के नेता अब तो अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान बने,
स्वस्थ, समृद्ध और हो विकसित,
मेरा देश भी अब अमरीका, रूस, जापान बने,
न मंदिर बने न मस्जिद बने,
इस देश की पहचान अब ज्ञान-विज्ञान, मंगलयान बने…

सपनों का भारत-
काम में लगन और मेहनत हो इतनी सबकी,
वे भी मिसाइल मैन सा नौजवान बने,
2020 तक कलाम का सपना पूरा करे और विश्व की शक्ति महान बने,
कहलाये ‘जगतगुरु’ हम फिर से, सफलता के नित नए प्रतिमान बने,
न हिन्दू बने न इस्लाम बने,
इस देश की पहचान अब ‘कलाम’ बने…
ज्ञान-विज्ञान, मंगलयान बने, ऐसा मेरा हिंदुस्तान बने…

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