भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में साहित्य संस्कृति फाउंडेशन द्वारा कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर फाउंडेशन की ओर से सांस्कृतिक, सामाजिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता डॉ. मोनिका अरोड़ा को हंसराज कॉलेज की प्राचार्या डॉ. रमा के कर कमलों से प्रथम अटल चेतना सम्मान से सम्मानित किया गया।अपने उद्बोधन में डॉ. मोनिका अरोड़ा ने भारतीयता और भारतीय संस्कृति के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए युवाओं से राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान सुनिश्चित करने का आह्वान किया।


इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मलेन में कवि हृदय अटल बिहारी वाजपेयी की काव्य रचनाओं और उसकी विशिष्टताओं की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए प्रसिद्ध गज़लकार लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने ‘पूरे गुलशन का चलन चाहे बदल जाए मगर, बदचलन होने से खुशबू तो बचा ली जाए’ जैसी पंक्तियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं वरिष्ठ दोहाकार नरेश शांडिल्य ने ‘छोटा हूँ तो क्या हुआ जैसे आंसूं एक, सागर जैसा स्वाद है तू चखकर रो देख’ जैसे दोहे सुनाते हुए अटल जी की कविताओं से सम्बंधित कई संस्मरण भी सामने रखे। इस अवसर पर युवा कवि कमल आग्नेय ने अटल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित कई बेहतरीन छंद पढ़े ‘कवि का चिंतन राम राज्य की इक तैयारी बनता है, कवि पीएम बनता तो सीधे अटल बिहारी बनता है।’ सुप्रसिद्ध कवयित्री अलका सिन्हा ने कवि और कविताओं की महत्ता को रखांकित करते हुए ‘मुझे स्वीकार कर हे कंठ, मैं गुंजरित राग होना चाहती हूँ, मुझे जज्ब कर ऐ कलम मैं तेरी रोशनाई होना चाहती हूँ’ जैसी कविताओं का पाठ किया। साहित्य संस्कृति फाउंडेशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार मिश्र ने अटल बिहारी वाजपेयी की ‘भरी दुपहरी में अंधियारा, सूरज परछाई से हारा, कदम मिलाकर चलना होगा, ऊँचाई, गीत नया गाता हूँ’ जैसी कविताओं का पाठ कर अटल जी का स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। समारोह की अध्यक्षा डॉ. रमा ने अटल जी के व्यक्तित्व और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि अटल जी और उनकी यादें आज भी हमारे बीच मौजूद हैं और उनकी स्मृतियाँ ही हमारा मार्गदर्शन करती हैं। कवि सम्मलेन का संचालन करते हुए कवि चेतन चर्चित ने अटल जी की शख्सियत और उनके जीवन को सामने रखते हुए कहा कि ‘वेदना को शब्द देने वाला राजनीति में भी, सच्चा कवि है तो वो बदल सकता नहीं, देशवासियों के दिल में अटल हैं अटल और जो अटल हैं वो टल सकता नहीं।’ कार्यक्रम का सञ्चालन हंसराज कॉलेज के प्राध्यापक प्रभांशु ओझा ने किया।

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