राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 155वीं जयंती के अवसर पर आज उदय प्रताप कॉलेज के राजर्षि सेमिनार हाल में हिंदी विभाग, समाजशास्त्र विभाग तथा राजर्षि कल्चरल क्लब के संयुक्त तत्वावधान में ‘हमारे समय की चुनौतियाँ और महात्मा गाँधी’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में आईआईटी, बी.एच.यू. के डिपार्मेंट आफ मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग के प्रो.आर. के. मंडल ने कहा कि महात्मा गाँधी सत्य की खोज में विश्वास करते थे और उनके लिए सत्य ही ईश्वर था। सत्य और अहिंसा के उनके सिद्धांत भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के आधारभूत सिद्धांत थे। प्रो. मंडल ने यह भी कहा कि गाँधी जी में गजब का दृढ़संकल्प और जिजीविषा थी। वे कई बार 125 साल जीने की बात करते थे, लेकिन आजादी के समय उन्होंने अपनी आंखों के सामने सत्य और अहिंसा के अपने सिद्धांतों की असफलता का जो रूप देखा था उससे वे लगातार निराश रहने लगे थे। महात्मा गाँधी ने जिस सत्य और अहिंसा के बल पर देश को आजाद कराया था, 1947 में आजादी के समय उसी अहिंसा को गली-गली में अपमानित होते हुए देखते हैं। हिंसा का यह विकराल रूप उन्हें भीतर से तोड़ देता है और भी चुप रहने लगते थे। प्रो. मंडल ने यह जोर देखकर कहा कि आज दुनिया के हर कोने में महात्मा गाँधी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत नितांत प्रासंगिक हैं। अगर ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ को सफल होना है तो यह महात्मा गाँधी के सत्य और अहिंसा के रास्ते चलकर ही हो सकता है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा है कि आज दुनिया के सामने एकमात्र गाँधी का रास्ता ही बचा हुआ है। गाँधी जी केवल सत्य के पुजारी नहीं थे, बल्कि वे अहिंसक सत्य की पुजारी थे। आगे चलकर भारतीय संविधान में अस्पृश्यता को जो इतनी जगह दी गई और आज भारत में यह जो लगभग समाप्त है, इसके पीछे गाँधी जी का ही प्रभाव है। इसके अलावा देश के संविधान में पशुओं के प्रति हिंसा का निषेध, कुटीर उद्योगों को महत्व आदि गाँधी जी के चिंतन का ही परिणाम है। प्रो. सिंह ने यह भी कहा कि आज दुनिया में भारत की पहचान अगर एक ओर महात्मा बुद्ध के नाते हैं तो दूसरी ओर महात्मा गाँधी के नाते है।
उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया के सामने गाँधी का विकल्प ही एकमात्र शेष है। अगर दुनिया में इंसान को इंसान बने रहना है यह गाँधीवाद के रास्ते ही संभव हो सकता है। संगोष्ठी में महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. एस.के. सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री दोनों विभूतियों का इस देश को बनाने में बहुत बड़ा योगदान है। जिस समय आजादी के बाद देश अन्न के अभाव में भुखमरी के कगार पर था उसी समय तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देते हुए देशवासियों में आत्मनिर्भरता का भाव भरा। गाँधी जयंती के अवसर पर आज महाविद्यालय की छात्र-छात्राओं ने प्रो. तुमुल सिंह के नेतृत्व में उन्नत भारत अभियान के अंतर्गत गाँव-गाँव जाकर सफाई, जागरूकता एवं आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित किया।
आज की संगोष्ठी का संचालन और प्रो. गोरखनाथ ने किया तथा स्वागत प्रो. सुधीर राय ने किया। आभार ज्ञापन प्रो. अंजू सिंह ने किया। आज की संगोष्ठी में प्रो. नरेंद्र कुमार, प्रो. एन.पी. सिंह, प्रो. गरिमा सिंह, प्रो. मधु सिंह, प्रो. नीलिमा सिंह, प्रो. शशिकांत द्विवेदी, प्रो. संजय शाही, प्रो. नागेंद्र द्विवेदी, डॉ. उपेंद्र कुमार, प्रो. मनोज प्रकाश त्रिपाठी, प्रो. रेनू सिंह, श्री डी.डी. सिंह, प्रो. राघवेन्द्र सिंह रघुवंशी, प्रो. संतराम बरई, प्रो. राजीव रंजन सिंह, प्रो. चंद्र प्रकाश सिंह, प्रो. पंकज कुमार सिंह, प्रो. रश्मि सिंह, डॉ. तुषार कांत श्रीवास्तव, डॉ. मयंक सिंह, डॉ.अनूप कुमार सिंह, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ.आनंद राघव चौबे, डॉ. सपना सिंह, डॉ.अश्वनी कुमार निगम, डॉ. संजय श्रीवास्तव, डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, डॉ.राजीव सिंह, डॉ. जितेंद्र सिंह, डॉ.अशोक कुमार सिंह, डॉ. राजेश राय, डॉ. बृजेश कुमार सिन्हा, डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, डॉ.संजीव कुमार सिंह, डॉ. लालेन्द्र सिंह, डॉ. रंजन श्रीवास्तव, डॉ. बिपिन कुमार, डॉ. अंकिता मिश्रा, डॉ. श्वेता सोनकर, डॉ. अग्नि प्रकाश शर्मा, डॉ. चंद्रशेखर सिंह, डॉ. वंश गोपाल यादव, डॉ. शशिकांत सिंह, डॉ. पुष्पराज शिवहरे, डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ. अनिरुद्ध चौधरी, डॉ.सत्येंद्र कुमार सिंह, डॉ. पिंटू कुमार, डॉ. प्रताप गौतम, श्री राहुल गौतम, श्री हिमांशु शेखर सिंह, श्री राकेश सिंह, श्री मन्नू लाल, श्री संजय सहित बड़ी संख्या में प्राध्यापक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
