निभा गये मोहब्बत हम
वतन से कुछ इस तरह।
छुड़ा दिये छक्के हमने
दुश्मनों के जंग में।
पड़ गया भारी उसे
कायराना हमला ये।
जब जवाब से पहले ही
टेक दिए घुटने उसने।
आओ मिलकर हम सब
खाये एक कसम।
झुकने देंगे नही
अपने तिरंगे को हम।।
अपने तिरंगे को हम।।
छोड़ कर सारी हदें
हम पार कर जाते है।
जब आती है वतन की
रक्षा की बात।
तब लगा देते है
जिंदगी अपनी दाव पर।
पर घुसने देते नही
दुश्मनों को हम।
आओ मिलकर ले
एक शपथ हम सब।
आंच आने नही देंगे
अपने वतन पर हम।।
जान जाये तो जाये
इसका कोई गम नही।
पीछे हटेंगे नहीं
अपने फर्ज से हम।
आएगी मरने मारने की
बात जब भी समाने।
खोलकर सीना अपना
हम डट जाएंगे।
पर वतन पर कोई
आंच आने न देंगे।
और इस तिरंगे को
झुकने देंगे नही।।
देश के वीर सैनानियों को मेरी रचना समर्पित है।
जय हिंद, जय भारत