तुझसे दूर भला कैसे जाऊं मैं
दिल का हाल किसे सुनाऊं मैं 
तू हर्फ़ दर हर्फ़ याद है मुझे
तुझे भला किस तरह भुलाऊँ मैं 
दिल में बस तेरी ही तस्वीर लगी है
किसी और को इसमें कैसे बसाऊं मैं 
तुझे खोने का एहसास ही रुला देता है 
चाहता हूं “वफ़ा” से वफ़ा निभाऊं मैं 
ख़फ़ा हो के भी तू मेरे सीने से आ लगे
कुछ इस तरह से तुझे इतना सताऊं मैं 
साहिल की रेत पर “साहिल” के साथ तुम 
हाथों में ले के हाथ तेरा दूर निकल जाऊं मैं 
 
	

