चौबीस घन्टे रहता यो तै माटी गेल्या माटी
अन्नदाता का हाल देख मेरी छाती जा सै पाटी
1
बिन पाणी बता क्यूंकर करै बिजाई रै
नहीं टेम पै मिलते बीज , दवाई रै
कदे खाद पै मारा – मारी , कदे आज्या बाढ़ , बीमारी
हरगिज भी या मिटती कोन्या इसकी गात उचाटी
अन्नदाता का हाल देख मेरी छाती जा सै पाटी
2
न्हाण – धोण और खाण – पीण की फुरसत ना
हांडै धक्के खाता किते भी इज्जत ना
ना फसलां के मिलते भा रै , न्यू छाती मै होरये घा रै
अपणे हक की बात करै तो मिलैं गोली और लाठी
अन्नदाता का हाल देख मेरी छाती जा सै पाटी
3
कर्जे के म्हां जन्म ले और कर्जे मै मर जाता रै
कोय कोन्या छुट्टी रोज कमाता रै
यो फेर भी भूखा सोवै , किस आगै दुखड़ा रोवै
कोय कोन्या साथी, इसकी सबनै जड़ या काटी
अन्नदाता का हाल देख मेरी छाती जा सै पाटी
4
समुन्द्र सिंह करो अब तो इसका ख्याल रै
दिन – दूणा यो होता जा बेहाल रै
जै भारत देश बचाणा , पड़ै किसान का दर्द बंटाणा
सच बूझो तो जीवन इसका होरया मौत की घाटी
अन्नदाता का हाल देख मेरी छाती जा सै पाटी
Very nice song ji, Dhun kon si hai