घूँट ज़हर के अब पी बहुत लिये है, ज़रा एक घूँट अमृत का भी पी लेने दे, “ए जिंदगी” कुछ पल तो मुझको अपनी मर्जी से जी लेने दे। कुछ समाज की बंदिशों ने रोका, कुछ अपनों ने है मुझको… Read More
घूँट ज़हर के अब पी बहुत लिये है, ज़रा एक घूँट अमृत का भी पी लेने दे, “ए जिंदगी” कुछ पल तो मुझको अपनी मर्जी से जी लेने दे। कुछ समाज की बंदिशों ने रोका, कुछ अपनों ने है मुझको… Read More