हाथ से छिटले हुये रिश्ते नहीं झुठला रहा हूँ, वक़्त की सीढ़ी बड़ी बोझिल, जरा घबरा रहा हूँ। कुछ हैं अच्छे लोग, कुछ हैं ऐसे लोग जिनको, और अपना मानता था, खैर! धोख़े खा रहा हूँ । हाँ किसी जन्नत… Read More
हाथ से छिटले हुये रिश्ते नहीं झुठला रहा हूँ, वक़्त की सीढ़ी बड़ी बोझिल, जरा घबरा रहा हूँ। कुछ हैं अच्छे लोग, कुछ हैं ऐसे लोग जिनको, और अपना मानता था, खैर! धोख़े खा रहा हूँ । हाँ किसी जन्नत… Read More