नॉट आउट @हंड्रेड (व्यंग्य)

“ख्वाबों,बागों ,और नवाबों के शहर लखनऊ में आपका स्वागत है”  यही  वो इश्तहार है    जो उन  लोगों ने देेखा था जब लखनऊ की सरजमीं पर पहुंचे  थे। ये देखकर वो   खासे मुतमइन हुए थे । फिर जब जगह जगह… Read More

व्यंग्य : लोहा टू लोहा

आजकल देश में मोटा भाई कहने का चलन बहुत बढ़ गया है। माना जाता है कि बंधुत्व और दोस्ती का ये रिश्ता लोहे की मानिंद सॉलिड है। पहले ये शब्द भैया कहा जाता था ,लेकिन जब से अमर सिंह ने… Read More

व्यंग्य : तब क्यों नहीं…

“ये जमीं तब भी निगल लेने को आमादा थीपाँव जब जलती हुई शाखों से उतारे हमनेइन मकानों को खबर है ना मकीनों को खबरउन दिनों की जो गुफाओं में गुजारे हमने “ये सुनाते हुए उस कश्मीरी विस्थापित के आँसूं निकल… Read More

व्यंग्य : डाल डाल की दाल

“दाल रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ” बहुत बहुत वर्षों से ये वाक्य दोहरा कर सो जाने वाले भारतीयों का ये कहना अब नयी और मध्य वय की पीढ़ी को रास नहीं आ रहा है। दाल की वैसे डाल नहीं… Read More

व्यंग्य : ऊंची नाक का सवाल

इस दौर में जब देश में बाढ़ का प्रकोप है तो नाक से सांस लेने वाले प्राणियों में नाक एक लक्ष्मण रेखा बन गयी है, पानी अगर नाक तक ना पहुंचा तो मनुष्य के जीवित रहने की संभावना कुछ दिनों… Read More