हॉलीवुड फिल्मों की यह खूबी है कि इसमें एक बेहद सादी और सरल सी कहानी को एक शानदार तरीके से कहकर महफ़िल लूटी जा सकती है और द लायन किंग फ़िल्म यही कारनामा करती है। जंगल के राजा के सिंहासन को पाने के लिए दुष्ट स्कार अपने भाई जंगल के राजा मुफासा की हत्या लकड़बग्घों के साथ मिलकर कर देता है और उसका नन्हा पुत्र बड़ा होकर अपने पिता की हत्या का बदला किस प्रकार लेता है, यही इस फ़िल्म का सार है, जो एक नज़र में मुम्बइया फ़िल्म जैसा दिखता है किंतु फ़िल्म देखने पर आप एक अलग किस्म का अनुभव करते हैं। बेहतरीन एनीमेशन, पटकथा पर मज़बूत पकड़ और सफल निर्देशन इस फ़िल्म को दर्शनीय फ़िल्म बना देते हैं। थ्री डी के स्पेशल इफ़ेक्ट इसमें चार चाँद लगाने का काम करते हैं।
यदि इस फ़िल्म के हिंदी वर्जन की बात करें तो इसमें भी मौलिकता के दर्शन होते हैं। लकड़बग्घों का भोजपुरी में बात करना और जंगली सुअर पुम्बा तथा नेवले टिमोन की मुम्बइया हिंदी गुदगुदाती है। शाहरुख खान, श्रेयस तलपड़े, आशीष विद्यार्थी, असरानी और संजय मिश्रा का वॉइस ओवर प्रभावशाली है लेकिन शाहरुख के पुत्र आर्यन की आवाज़ तनिक भी प्रभावित नहीं करती। लेकिन सर्वांगतः यह बच्चों के लिए ही नहीं बड़ों के लिए भी देखने योग्य फ़िल्म है। इसलिए हकुना मटाटा अर्थात चिंता छोड़कर जाइये और फ़िल्म का आनंद लीजिए।

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