जब भोर हुए आना,
जब शाम ढले आना।
संकेत प्रभु का,
तुम भूलना जाना,
जिनेन्द्रालाय चले आना।
जब भोर हुए आना,
जब शाम ढले आना।।
मैं पल छीन डगर बुहारूंगा,
तेरी राह निहारूंगा।
आना तुम जिनेन्द्रालाय दर्शन को ,
करना पूजा भक्ति यहाँ।।
जब भोर हुए आना,
जब शाम ढले आना।।
नित साँझ सवेरे मंदिर में,
पूजा भक्ति मैं करता हूँ।
और करता हूँ स्वाध्याय , जिनवाणी का।
आत्म शुध्दि के महापर्व पर।।
जब भोर हुए आना,
जब शाम ढ़ले आना।।
जन्म जन्म से भाव सजोये थे,
मुनि दीक्षा हम अब पाएंगे।
श्रध्दा भक्ति विनय समर्पण का,
कुछ तो दे दो फल।
मेरी दीक्षा विद्या गुरुवर के,
हाथों से बस अब हो।
ऐसा आशीर्वाद हे मुनिवर ,
मुझे आप ये दे दो।।
जब भोर हुए आना,
जब शाम ढ़ले आना।।