shikshakji

जो कुछ भी हूँ आज मैं,
श्रेय मैं देता हूँ उन शिक्षकों।
जिन्होंने मुझे पढ़ाया लिखाया,
और यहां तक पहुंचाया।
भूल सकता नहीं जीवन भर,
मैं उनके योगदानों को।
इसलिए सदा में उनकी,
चरण वंदना करता हूँ ।।

माता पिता ने पैदा किया।
पर दिया गुरु ने ज्ञान।
तब जाकर में बना लेखक,
और एक कुशल प्रबंधक।
श्रेय मैं देता हूँ इन सबका,
अपने उनको शिक्षकों।
जिनकी मेहनत और ज्ञान से,
बन गया पढ़ा लिखा इंसान।।

रहे अँधेरा भले
उनके जीवन में।
पर रोशनी अपने
शिष्यों को दिखाते है।
जिस से कोई
बन जाता कलेक्टर।
तो कोई दोस्तों
वैज्ञानिक बन जाता है।।

सुनकर उन शिक्षकों को,
तब गर्व बहुत ही होता है।
मैं कैसे भूल जाऊं उनको,
जिन्होंने मुझे योग बनाया है।
देकर अपने ज्ञान की शिक्षा,
हमें यहाँ तक पहुंचाया है।।

शिक्षक दिवस के अवसर
पर मैं उन शिक्षकों के
चरणों में वंदन करता हूँ।।

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