तवे की तेज आँच में
जलती हुई रोटी,
और हाथ की गदोरिया
दोनों माँ की हैं।
चौके और बेलन के बीच
लिपटे हुए आंटे की तरह
आज भी कुछ सवाल घूम रहे हैं
एक परिधि में रोटी की तरह
एक निश्चित आकार के लिए।
सवाल का जलना खतरनाक तो है
किन्तु बिना पके कोई सवाल
मुकम्मल नहीं होता
तवे की रोटी की तरह
और जलने वाली गदौरी
आकार देने वाली कलाई
दोनों इतिहास हैं चौका और बेलन से
तैयार रोटी की,
क्योंकि…
अपने यहां भूख के दरम्यान
हर रोज घूमी है रोटी
अपनी निश्चित परिधि में।
so very beautiful line sir