चाहत तो रखते है
धन की सभी ।
पर उपयोग उस धन
वो करते नहीं।
धन आने पर बंद,
तिजोरी में करते है।
पर लक्ष्मीजी तो
चंचल होती है।
तो लोग उसे कैद कैसे
कर सकते हो।।
धन और विद्या में
अंतर बहुत होता है।
दोनों का मिलन भी
बहुत कम होता है।
वास जहाँ लक्ष्मीजी करती है
सरस्वती का वहाँ अभाव होता है।
बड़ा ही अजीब खेल,
विधाता ने रचा है।
जहाँ दोनों का साथ
कम ही रहता है।।
विद्या से जो करते हैं
धन का उपयोग।
वही पुण्यात्मा और
दानवीर कहलाते है।
और समाज में,
उच्च स्थान पाते है।
और जरूरत मंदो को,
उच्च शिक्षा दिलाते है।
और शिक्षित समाज का
निर्माण करवाते है।।