उस हथिनी के साथ न्याय प्रकृति ही करेगी
आज सिलवा याद आ गया । सिलवा हिमालय के घने जंगलों में रहने वाला एक हाथी था । कहते हैं चारों ओर उसके जैसा तेजवान और बलिष्ठ हाथी कोई दूसरा ना था । इसी वजह से वो हाथियों के दल का राजा भी कहलाया । इतना कुछ होने के बावजूद सिलवा में थोड़ा भी घमंड नहीं था ।
कहते हैं एक बार एक व्यक्ति जंगल में भटक गया । जंगली जानवरों के डर, भूख और थकान का मारा वह व्यक्ति एक पेड़ के नीचे बैठ अपनी मौत का इंतज़ार करने लगा । उसे यकीन हो गया कि आज वो नहीं बचेगा । इसी बीच सिलवा का वहां से गुज़रना हुआ । उस भूखे और डरे व्यक्ति को देख सिलवा को दया आ गयी । वो आगे बढ़ा जिससे उस व्यक्ति का हाल जान उसकी सहायता कर सके लेकिन इंसान इतने विशाल हाथी को देख डर गया ।
सिलवा एक कदम उसकी तरफ बढ़ाता तो वो दो कदम पीछे हट जाता, सिलवा रुकता तो वो व्यक्ति भी रुक जाता । काफी देर तक ऐसा ही चला लेकिन अंत में सिलवा ने उसे यकीन दिला ही दिया कि वो उसे कोई नुक्सान पहुंचाने नहीं बल्कि उसकी मदद के लिए आया है । यकीन होते ही वो इंसान सिलवा की पीठ पर बैठ गया । सिलवा ने उसे पूरा जंगल घुमाया, तरह तरह के फल खिलाए और उसे जंगल के बाहर तक छोड़ आया ।
दोनों की दोस्ती हो गयी । वो इंसान अब सिलवा से मिलने अक्सर जंगल आया करता । दोस्ती तो हो गयी थी लेकिन था तो वो इंसान ही ना भला अपने मन के लालच को कब तक रोक पाता । उसने तय किया कि वह सिलवा के दांत बाज़ार में बेच देगा । इस सम्बंध में उसने एक व्यापारी से बात भी कर ली । लेकिन अब समस्या ये थी कि सिलवा के दांत कैसे प्राप्त किए जाएं । वह कोई बच्चा तो था नहीं जिसे फुसला लिया जाता और बिना मतलब के सिलवा भला अपने दांत क्यों देता ।
लेकिन उस इंसान ने अपनी बुद्धि लगायी और अपनी दोस्ती तथा अपनी गरीबी को हथियार बनाया । उसने सिलवा से कहा कि वह बहुत गरीब है, उसके पास इतना भी धन नहीं कि वो अपना पेट भरने को अनाज खरीद सके । ऐसे में वो ज़्यादा जी नहीं पाएगा लेकिन अगर उसे सिलवा अपना दांत दे दे  तो वो उसे बेच कर अपनी परिस्थिति सुधार सकता है । सिलवा नेक दिल था, दोस्त को इस स्थिति में देख नहीं सका और उसने अपने दांत तोड़ने की मंजूरी दे दी । उस व्यक्ति ने बेरहमी से सिलवा के दांत तोड़े लेकिन सिलवा मुस्कुरात रहा । दांत बिका, अच्छी कीमत मिली लेकिन व्यक्ति की लालच पूरी ही नहीं हुई ।
उसने कुछ दिनों बाद फिर सिलवा से गुहार लगाई । उदार मन सिलवा ने फिर दोस्त की बात मान ली । इस बार व्यक्ति की लालच चरम पर थी । उसने सोचा क्यों ना सिलवा के सारे दांत एकबार में ही उखाड़ लिए जाएं जिससे उसे बार बार गुहार भी नहीं लगानी पड़ेगी और वो एक बार में ही धनवान हो जाएगा ।
यही सोच कर उसने बेरहमी से एक एक कर उसके सारे दांत निकालने शुरु कर दिए । असहनीय पीड़ा ना बर्दाश्त कर पाने के कारण सिलवा ने दम तोड़ दिया । लेकिन इससे उस व्यक्ति को कोई फ़र्क नहीं पड़ा । वो अपना काम करता रहा । सभी दांत निकाल लिए उसने और वहां से चल दिया ।
सिलवा की ये दुर्दशा और उसके साथ हुआ अन्याय प्रक्रति भी बर्दाश्त ना कर सकी । वह व्यक्ति जंगल पार ना कर सकता उससे पहले ही धरती फट गयी और उसे ज़िंदा ही निगल लिया ।
मां अपने सबसे कमज़ोर बच्चे पर विशेष ध्यान देती है । प्रकृति हम सबकी मां है लेकिन बेसहारा जानवरों के लिए उसके मन में विशेष दया होती है । इंसान भूख से मर जाता है लेकिन आपने कभी किसी खुले जानवर को भूख से मरते नहीं देखा सुना होगा । प्रकृती उनका पेट भरती है उनकी रक्षा करती है और उनके साथ न्याय भी वही करती है ।
केरल के मलाप्‍पुरम में एक गर्भवती हथिनी के साथ हुई घटना ने हर किसी का मन विचलित कर दिया है । लोग न्याय की मांग कर रहे हैं । लेकिन उस हथिनी और उसके बच्चे का न्याय किसी संवैधानिक कानून द्वारा नहीं बल्कि प्रकृति के कानून द्वारा होगा और अविलंब होगा ।
एक और बात, लोग कह रहे हैं कि केरल राज्य देश का सबसे शिक्षित राज्य है और वहां ऐसी घटना कैसे हो सकती है । मगर मैं कहता हूं पढ़े लिखों का इलाका था तभी ऐसा हो भी गया अगर कहीं ये देहाती लोगों का इलाका होता तो हथिनी को पूज कर उसे भर पेट खाना खिलाया जाता । ये देहाती लोग ही हैं जो अपने घर दो रोटियां ज़्यादा बनवाते हैं ताकि आवारा कुत्ते के लिए कौरा निकाला जा सके । इनके लिए हर जानवर कोई ना कोई देवता का वाहन या रूप है । वहीं ये एसे लोग पढ़े लिखों में ही आते हैं जिनके लिए एक चूहा गणेश जी का वाहन नहीं बल्कि चीर फाड़ करने वाला सबजेक्ट होता है ।
ये ना जाने किस भारत के लोग हैं जो मजे के लिए गर्भवती हथिनी के मुंह में पटाखे डाल देते हैं क्योंकि हमारे देश के लोगों को तो यही पता है कि बिल्ली हथिनी ये सब की हत्या महापाप की श्रेणी में आता है । वे हत्यारे भी इस पाप का दंड ज़रूर भुगतेंगे वैसे ही जैसे सिलवा के हथियारे ने भुगता था ।

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