मैं वक्त हूँ। निरंतर चलते रहता हूँ,रूकना मेरी फ़ितरत नहीं।ये सच है कि मुझसे ज्यादा कोई अनुभवी नहीं हुआ आजतक । अब आप मेरी उम्र-आयु के पचड़े में मत पड़ियेगा। उलझ के रह जायेंगे। संसार को द्रष्टा बन के युगों से देख रहा हूँ,मन भारी हो गया है। आज मैं आपको कुछ सुनाना चाहता हूँ ।क्या आप मुझे सुनना पसंद करेंगे?
“हाँ ” बोलने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद । मुझे ख्याल है कि मैं उस पीढ़ी से गुफ़्तगु कर रहा हूँ,जहाँ कुछ लोग अपने बाप की भी नहीं सुनते। सलमान भाई से प्रेरित लोग तो अपने आप की भी नहीं सुनते। आपने मेरी सुनने की हामी भरी हैं,बहुत बहुत शुक्रिया ।
मुझे स्मरण है कि धरा पर सबसे पहले आने वाले दंपति यानि प्रथम माता-पिता का स्वागत मैंने ही किया था। इससे पहले मेरा जीवन नीरस हुआ करता था। मेरे मन में किसी बिशेष भाव-भंगिमा का वास नहीं था। धीरे-धीरे संसार में शोर बढता गया और मैं भावपूर्ण एवं संवेदनशील होता गया। आज जब भी जेठ दुपहरी में किसी बाँध पर एक पिता और पुत्र को जाते देखता हूँ तो भावुक हो जाता हूँ, क्योंकि बाप स्वयं धूप ओढ़ता है और गमछा बेटे को ओढ़ाता है। मैं ठहर जाना चाहता हूँ, प्रेम के इस दृश्य को देखने के लिए। मगर मन मसोस के रह जाता हूँ क्योंकि ठहरना मेरे नसीब में नहीं है।समय हूँ न!
मैं सबके लिए समान हूँ, सब मेरे लिए समान हैं। मुझे महसूस होता है कि माँ के अपेक्षा पिता के बिषय में कम लिखा-पढ़ा गया है,इसलिए आज मैं पिता की पैरवी कर रहा हूँ। निःसंदेह माता का स्थान सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि माँ अपनी संतान को नौ महीने अपने गर्भ में ढ़ोती हैं और यह बात सब जानते हैं,किन्तु पिता अपनी संतान को नौ महीने अपने दिमाग में ढ़ोता है,यह केवल मैं ही जानता हूँ। मैं तब भी द्रवित होता हूँ,जब एक पिता अपनी संतान के सपनों को अपने पसीने से सींचता है। बच्चों को किसी चिज की कमी ना हो सिर्फ इसी बिषय पर सोचता है। जब एक पिता अपने बच्चों की प्रिय खिलौना नहीं ला पाता है तो बहाना बना देता है कि बाजार में हाथी सनका था। मैं उस बाप को झूठा मान लेता हूँ। फिर तुरंत पिता अपनी जेब से मिठाई निकाल कर बच्चों को देता है,जिसे अपने सिरप के पैसों से लाया होता है। खाँसी को खरबिरवा(घरेलू) दवाओं के भरोसे छोड़कर। मैं मन ही मन कहता हूँ-“तू झूठा ही सही है गुरू। संसार का हर सच तेरे सजदे में झूका है।”
मैं वक्त हूँ,मुझे फुर्सत कहाँ?चलते चलते आपसे इतना कुछ इसलिए कहा हूँ कि आप अपने पिता की सुध हमेशा लिजिएगा। पिता ही वो इंसान है जो आपके बारे में सोचने लगता है,मन में सपने सजाने लगता है तो वह इतना बेसुध हो जाता है कि उसे मेरी यानि समय की भी सुध नहीं रहती है।
पितृ दिवस की शुभकामनाएँ । बहुत बधाई ।
(संसार के सभी पिताओं को समर्पित,सुपरहीरोज़ को सलाम)
#happyFatherDay