kishan

तेरी जय हो अन्न के दाता ।
तु सबकी भूख मिटाता ।।

दिन – रात तु पसीना बहावै ,
सबकी खातर अन्न उगावै ,
और खुद भूखा सो जाता ।
तेरी जय हो अन्न के दाता ।।

लू चालो चाहे पड़ो जी पाला ,
करता कोन्या खेत का टाला ,
ना तु छुट्टी कोय मनाता ।
तेरी जय हो अन्न के दाता ।।

तन पै कोन्या तेरै वस्त्र ,
टोटे के तेरै लागे नश्तर ,
तु फेर भी ना घबराता ।
तेरी जय हो अन्न के दाता ।।

टूटे – फूटे घर मैं रहता ,
सारी जिंदगी दुखड़े सहता ,
रहै फेर भी तु मुस्कराता ।
तेरी जय हो अन्न के दाता ।।

तेरे तै बढ़कै और ना दूजा ,
समुन्द्र सिंह करै तेरी पूजा ,
तेरे चरणां शीश झुकाता ।
तेरी जय – जय अन्न दाता ।।

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