तुम ही कहो,
कैसे कटेंगे वो पल
जिस पल में तुमने कहा था
हम साथ रहेंगे हरपल 
 
अब मेरी धड़कनों की आवाज से
तुम कैसे रू-ब-रू होगे
किसी गैर को सीने से लगाकर
उस पल में मुझे तुम भूल ही जाओगे 
 
तुम्हीं कहो
कैसे कटेंगे वो पल
जिस पल में तुमने कहा था
हम साथ रहेंगे हरपल 
 
चांदनी रातों में तेरे संग
तेरी झील सी आंखों मे,
थी डूबने की तमन्ना
जो टूट गई है
क्या इसे ख़ुदा का मर्जी समझूं
कि अब हम साथ न रहेंगे एक पल
 
तुम ही कहो
कैसे कटेंगे वो पल
जिस पल में तुमने कहा था
हम साथ रहेंगे हरपल 
 
तेरे संग जो दास्तान
हमने साथ साथ लिखी थीं
उस दास्तान के हर लफ़्ज
तेरे फैरेब में बिखर गए
जो बच्चों को सुनानी थी जिस पल
 
तुम ही कहो
कैसे कटेंगे वो पल
जिस पल में तुमने कहा था
हम साथ रहेंगे हरपल 
 
जब उठाएगा घुंघट को कोई गैर
तेरी इजाजत के बगैर
इजाज़त के साथ तेरे घुंघट को
उठाते हुए मैं याद आऊंगा उस पल 
 
तुम ही कहो
कैसे कटेंगे वो पल
जिस पल में तुमने कहा था
हम साथ रहेंगे हरपल 
 
जिसे प्यार करोगी उसकी गलती में भी 
जो तुमको गलत कहेगा
तो तुम आंसू बहाती सोचेगी 
तुम्हारी गलती हो कर भी,
तुम्हारा गुस्सा हो जाना
रह-रह कर तुमको मनाना
बहुत याद आऊंगा मै उस पल
 
तुम ही कहो
कैसे कटेंगे वो पल
जिस पल में तुमने कहा था
हम साथ रहेंगे हरपल

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