रावण न होते
तो राम भी कहाँ होते
राजकुमार राम तो होते
लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम
नहीं होते !
धर्म की विजय नहीं होती
चक्रवर्ती सम्राट भले होते
रावण राम की पहचान हुए
मर्यादा की तरफ प्रस्थान हुए
माता सीता महारानी होती
लेकिन पवित्रता की मिशाल
कहां होती ?
जगत जननी माता सीता की
पवित्रता की जग में पहचान हुई
राम तो राम ही रहते लेकिन
मर्यादा पुरुषोत्तम राम नहीं होते !
राम अगर राम है तो
रावण भी रावण जैसे है
दोनों एक सिक्के के दो पहलू
दोनो एक दूसरे की पहचान हुए
एक धर्म की स्थापना तो
एक धर्म की पुकार हुए
अगर जय जयकार राम की हो
तो रावण भी ऐसे क्यों जलता जाए
दोनो की सत्ता अपनी है
दोनों ही जग के आधार हुए….