geet mere malik mujhse payar karo

मुझे चरणों में जगह दे दो न इंकार करो।
मेरे मालिक हो मुझे प्यार करो प्यार करो।।
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डोर जब तुम से बंधी है तो कहाँ जाऊं मैं।
जख्मे दिल और कहीं जाके क्यों दिखाऊँ मैं।।
मरहमे जख्म हो तुम दिल ना तार तार करो।
मेरे मालिक हो मुझे प्यार करो प्यार करो।।
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कितनी निस्बत है मुझे तुमसे बताऊँ कैसे।
चीर कर कलबो जिगर अपना दिखाऊँ कैसे।।
मुझको दर दर का बनाओ न शर्मसार करो।
मेरे मालिक हो मुझे प्यार करो प्यार करो।।
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मेरे कर्मों को वजह दे दो इबादत कर दो।
पार सागर के पहुंच जाऊँ इनायत कर दो।।
मेरी रफ्तार को हमदर्द धारदार करो।
मेरे मालिक हो मुझे प्यार करो प्यार करो।।
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तुमको मालिक ने दिया खूब यूँ संवारा है।
गम करो दुनिया के सब दूर यूँ उतारा है।।
“अनंत” गम मेरे सब हर लो दीनदार करो।
मेरे मालिक हो मुझे प्यार करो प्यार करो।।
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