Topper Divyanshi Jain

एक परीक्षार्थी को प्रत्येक विषय मे फुल मार्क्स कैसे मिल सकते हैं? सवाल बहुत बड़ा है, सवाल जायज है और इस सवाल के लिए हमें भला बुरा भी कहा जा सकता है लेकिन सवाल है तो है और सवाल हमेंशा पूछे जाने के लिए ही होते हैं तो यह सवाल भी पूछा जाना चाहिए उत्तर प्रदेश और बिहार बोर्ड के टॉपर्स की भाँति यहाँ भी। परीक्षार्थी की प्रतिभा पर हमें कोई शक नहीं है ना ही गुरुजनों की निष्ठा पर कोई संदेह है। परीक्षार्थी की ऐसी योग्यता और हुनर को मेरा भी सलाम!

लेकिन यह सवाल उन परीक्षार्थियों से नहीं बल्कि उन गुरु जनों से पूछा जाना चाहिए जिन्होंने CBSE की कांपियाँ जांची हैं और परीक्षार्थी को कुल चार विषयों में शत प्रतिशत अंक दिए हैं जो इन गुरु जनों की भी योग्यता पर प्रश्नचिन्ह अंकित करता है क्योंकि या तो परीक्षार्थी सुपर से ऊपर है या परीक्षार्थी पूरे के पूरे आइन्सटाइन्स हैं या यहां भी पूरा का पूरा फ्रोडिकल साइंस है। बहुतई बड़ा लोचा है यहाँ भी बिहार बोर्ड की ही भाँति,परन्तु यह CBSE है मालिक यहाँ कुछ भी हो सकता है। यहाँ गुरु जी का चले तो परीक्षार्थी को 100 में से 101 नम्बर दे दें क्योंकि गुरु जी तो गुरु जी ठहरे, कुछऊ संभव है उनके लिए। अगर वाकई यहाँ कुछ न कुछ लोचा है तो यकीन मानिए ऐसे गुरुजन समाज के लिए पाईल्स के समान हैं। हमने तो बचपने में सुना था कि बेटा 100 में से 100 नम्बर तो सिर्फ गणित में ही आवे हैं लेकिन यहाँ ऐसे विषय जिनको स्कोर गेनिंग कभी नहीं माना जाता वहां गुरुजनों ने सौ सौ नम्बर दे दिए चलिये हम भी मान लेते जब हिस्ट्री, भूगोल, साइकोलॉजी और इकोनॉमिक्स की जगह अगर फिजिक्स, केमिस्ट्री बायोलॉजी और मैथ होता मगर यहाँ तो बात कत्तई नहीं पचती यहाँ कुछ न कुछ दाल में काला है मालिक या पूरी की पूरी दाल ही काली है।

बचपन में कहानी सुने थे फूल मार्क्स गेनर की राजेन्द्र बाबू की , कि कैसे बाबूजी एग्जाम में एक घंटे लेट पहुँचे थे कैसे उन्होंने खैनी बनाई थी और कैसे खैनी खाने के बाद उन्होंने पूरा का पूरा मैथ का पेपर सबसे पहले हल कर दिया था और कैसे गुरु जी को उनकी कांपी पर लिखना पड़ा था कि “एग्जामिनी इस बेटर देन एग्जामिनर” अंजना ओम काकी और रवीश काका पता करिये तो जरा कि यह परीक्षार्थी भी कहीं BBC का सेवन तो नहीं करती। खैर इतिहास में 100 नम्बर से तो यही लागता है कि परीक्षार्थी ने ही कोलडीहवाँ में चावल के दाने छुपाए थे जो खुदाई में मिले। परीक्षार्थी ने भी गांधी जी के साथ दांडी यात्रा की थी।परीक्षार्थी ने ही अशोक के चौदहों शिलालेख पर खुदवाया था देवनामप्रियं। परीक्षार्थी ने ही जर्नल डायर को गोली मारी थी और तो और ध्रुवों पर बैठ कर परीक्षार्थी ने ही पृथ्वी को घुमाया था जो अबतक घूम रही है।इसने ही देखा था कि कैसे टेक्टोनिक प्लेटों के खिसकने से भूकंप आता है।कैसे थेसीस सागर में के उथले होने से हिमालय का निर्माण हुआ था परीक्षार्थी के द्वारा ही थेसिस सागर को उथला किया गया था और गुरु जी ने परीक्षार्थी के साथ मिलकर ही इग्लू बद्दु आदि के साथ पम्पास घासों पर भेड़ें चरायीं थी और सारा का सारा ज्ञान गुरु जी ने उसे वहीं सौंप दिए थे।

हमारे UP और बिहार बोर्ड में तो प्रतिभाएं खड़ूस मास्टरों की नैतिकता की शिकार हो जातीं हैं क्योंकि मास्टर साहब की नैतिकता उनको हर कदम पर परीक्षार्थी को 70-80 नम्बर से अधिक देने से रोकती है चाहें परीक्षार्थी का प्रदर्शन शत प्रतिशत ही क्यों न हो। अगर ऐसा मास्टर जी ने कर भी दिया तो परीक्षार्थी और गुरु जी को मीडिया वाले कठघरे में खड़े कर देंगे लेकिन मीडिया CBSE वाले मामले में चुप है तालियां बजा रही है।

एक हमारे गुरु जी हैं विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। एक बार गुरु जी किसी दूसरे विश्वविद्यालय में प्रैक्टिकल एग्जाम लेने गए थे जब गुरु जी घर वापस आये तो उनके बेटे (जो हमारा प्रिय जूनियर हैं ) ने पूछा कि पापा एग्जाम कैसा रहा तो गुरु जी बोले “बहुत बढ़िया हो सगरी बचवन क 50 में से 45 ,46, 47,48,49 नम्बर दे आयिल हईं चूँकि गुरु जी क्लास को छोड़कर हर जगह हमेशा अवधी और भोजपुरी ही बोलते हैं जो उनके मातृ भाषा के प्रति लगाव को दर्शाता है। जब हम गुरु जी को प्रणाम करते हैं तो गुरु जी कहते हैं ” खुश रहs,खुश रहs!,खूब खा अऊर खूब मोटाs हमनें भी गुरु जी बातों का पालन किया है और बजन 70 किलो को क्रोस कर गयी है जो एक जमाने मे 39 किलो हुआ करती थी जब हमने ग्रेजुएशन पास किया था।

फिर उनके बेटे ने कहा पापा ये जो आप उनको 45 से ऊपर नम्बर दे आये हैं ठीक नहीं किये हैं।
गुरु जी- उ काहें?
बेटा -आप उनको इतना नम्बर दे आये हैं फिर कल को ओ हमसे कम्पटीशन करेंगे मेरिट बनेगी। उनकी मेरिट हमसे अधिक होगी फिर वो हमसे आगे निकल जाएंगे और हम यहाँ बैठे हाँथ मलते रह जाएंगे।
गुरु जी – बात त ठीके कहत हव, एथिया के माई तनी हमार जुतव दिह त ई चलल हवें हमके सिखावे।

काश उत्तर प्रदेश और बिहार बोर्ड के सारे गुरु जी लोग इस समय में ऐसे ही होते तो माध्यम वर्गीय प्रतिभाएं भी CBSE की भाँति ही अच्छे अंक प्राप्त करके डीयू के किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला लेने का सपना देख सकतीं।

मेरे एक शिक्षक थे इंटरमीडिएट में पंतनगर इंटर कालेज पंतनगर में दिलीप सर बहुत ही इस्ट्रिक्ट थे एक बार जब हम ग्यारहवीं में थे तो एक मंथली एग्जाम में पूरे क्लास में सिर्फ पांच सटुडेन्ट ही पास हुवे जिसमें से एक हम भी थे एक दिन गुरु जी पढ़ाते पढ़ाते एक सवाल पूछ दिए पूरे क्लास में कोई नहीं बता पाया फिर गुरु जी ने अगली गुगली डाली की वो पांच लड़के कौन है जो पास हुए हैं खड़े हो जाओ फिर दुबकते हुवे हम सब खड़े हुए चूकिं गुरु जी हाँकी स्टिक रखते थे हमारी गर्दन में लगाये और खिंच के बारी बारी से पांचों को दरवाजे के बाहर करके मुर्गा बना दिये जब कोई आसान तोड़ने को होता गुरु जी पाकिस्तान पर हाँकी रसीद देते थे यकीन मानिए हमारे जीवन का सबसे अच्छा वक्त था वो बीस पच्चीस मिनट जिसमें हम थुराने के बाद भी प्रसन्न थे अकेले हम ही सात गोल खाये थे। हाँकी स्टिक से । फिर गुरु जी ने पूरे क्लास में जो कहा था वो हम आजतक नहीं भूले हैं और ना हीं सवाल का आंसर भूले हैं आजतक कि कैसे प्रकाश का विवर्तन होता है।हमनें तुम सबको इसलिए मुर्गी बनाया की तुम सब मेरी बातों को सुनोगे, देखोगे, समझोगे,जांचोगे, परखोगे, ये डेरिवेशन है इसको देखो,समझो, हल करो,पढ़ो, लिखो।बाकी तो सब ड्रामा हो रिया है आजकल।सिर्फ चंदे का धंधा हो रिया है। Vinay Indar बंधू याद है न।

वैसे ही आजकल शिक्षा सिर्फ और सिर्फ धंधा बनकर रह गयी है शिक्षा के नाम पर सिर्फ और सिर्फ ड्रामा हो रहा है।किसको कोसें, किसको रोएं, किसके आगे दिदें खोएं?

पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश और बिहार बोर्ड का स्तर बहुत गिरा है लेकिन 100 में से 100 नम्बर चार विषयों में यहाँ भी नहीं मिलते हैं। फिर हम किसको कोसें राजनीति को या गुरुजनों को।आप तालियां बजा लीजिये टॉपर्स का प्रोफाइल पिक्चर लगा लीजिये लेकिन चार विषयों में शत प्रतिशत अंक हमें तो कत्तई नहीं पचता।कुछ दिनों से एक शब्द बहुत चर्चित हो रहा है फ्लोर टेस्ट तो ये फ्लोर टेस्ट CBSE टॉपर्स का भी होना बनता है जैसे बिहार बोर्ड के टॉपर्स के साथ हुआ था।यहाँ तो गुरुजनों का भी फ्लोर टेस्ट होना चाहिए मालिक! और इनका फ्लोर टेस्ट इनर फ्लोर नहीं अपर फ्लोर होना चाहिए वो भी जेठ की दुपहरी में तब जाके इनको पता चलेगा कि 100 नम्बर का कीमत तुम का जानो मास्टर बाबू इसी सौ नम्बर के चक्कर में उ बिहार वाले जेल में हैं।
मेरी यह पोस्ट कई लोगों को बुरी लग सकती है तो लगे लेकिन जरा गौर कीजियेगा कि क्या ऐसा संभव है। या मैं पागल हूँ जो ऐसी बहकी हुई बात कर रहा हूँ।

टैग हेतु क्षमा क्योंकि टैग इसलिए किये हैं कि गुरुजनों को जरा याद कर लीजिए जिनके किस्से हमने सुनाए।

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