मैं हिंदी हूँ महोदय, मुझे विश्व में जाना जाता है,
दुनिया में तीसरे स्थान पर, मुझे ही बोला जाता है।
संविधान में राजभाषा का, दर्जा भी दिया जाता है,
14 सितंबर को, दिवस भी मनाया जाता है।
राजकाज की भाषा भी, मुझे कहा जाता है,
पर मेरे दिवस पर ही, मुझे याद किया जाता है।
मेरी जन्मभूमि पर ही, मेरा ह्रास किया जाता है,
मेरी सौतन अंग्रेजी का, प्रयोग किया जाता है।
अंत में करती हूँ, निवेदन आपसे,
हिंदी को अपनाएँ, हर काज में।
ताकि नाम की ही ना रहूँ मैं,
राजभाषा।
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भारत और हिंदी
राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है हिंदी,
भाषाएँ नदियाँ तो महानदी है हिंदी।
सींचती राष्ट्रीयता के मूल को है हिंदी,
राष्ट्रभाषा पहचान हमारी है हिंदी।
अपनाना अब हर काज में है हिंदी,
करें ना संकोच प्रयोग करने में हिंदी।
भारत को एक सूत्र में पिरोती है हिंदी,
देश की उन्नति गौरव और सम्मान है हिंदी।
सर्वसाधारण के माध्यम की भाषा है हिंदी,
हर ताले की कुंजी है हिंदी।
हम सब का अभिमान है हिंदी,
भारत देश की शान है हिंदी।
आओ हम सब मिलकर करें संकल्प,
हिंदी में सोचें, लिखें और हिंदी में ही बोलें।