gandhi ji

बापू तेरे सपनों का भारत ,
आज बड़ी मुश्किल में हैं ।
सत्य अंहिंसा तुझको पाने ,
ढूंढे हर महफ़िल में है ।
बापू तेरे सपनों का भारत ,
आज बड़ी मुश्किल में हैं ।

सच है बोझिल ,सच है प्रताड़ित ,
सच भी सच में घबराए।
सत्य ही जयते कहते सब जन ,
पीड़ा सच की समझ न पाए।
झूठ के आगे सिमटा सच है ,
झूठा सच को आंख दिखाए ।
झूठ का देखो चलता सिक्का,
सच दुबका किसी दिल में है ।
बापू तेरे सपनों का भारत ,
आज बड़ी मुश्किल में हैं ।
सत्य अंहिंसा तुझको पाने ,
ढूंढे हर महफ़िल में है ।

हर जन, मन में कूढ़ा क्यों है,
अपने ही कर्म से मुढ़ा क्यों है ?
भीड़ में ही वो डरता रहता,
मन ही मन वो रूठा क्यों है?
करुणा मन की सुख चुकी क्यों,
मदद को घायल बैठा क्यों है?
हिंसा भीड़ की तांडव खेले ,
बचना कहाँ घुस बिल में है ।
बापू तेरे सपनों का भारत ,
आज बड़ी मुश्किल में हैं ।
सत्य अंहिंसा तुझको पाने ,
ढूंढे हर महफ़िल में है ।

तन को साबुन जम-जम मलते ,
मन के मैल का ध्यान नहीं।
घर का कचरा बाहर फेंके,
भारत स्वच्छता मान नहीं।
कपड़े तन पर उजले उजले ,
धरा गन्दगी भार दबे ।
स्वच्छ-सिपाही अछूत ही बनकर,
कचरे के शामिल में है।
बापू तेरे सपनों का भारत ,
आज बड़ी मुश्किल में हैं ।
सत्य अंहिंसा तुझको पाने ,
ढूंढे हर महफ़िल में है ।

पिज्जा बर्गर जीभ चढ़े है ,
पोष्टिक भोजन पड़ा सड़े है ।
युवा अपने क्लबों में खोकर,
नशे में आप ही जा गड़े है ।
घर की शक्कर कड़वी लगती ,
परदेशी गुड़ माल हुआ ।
स्वदेशी कूड़े सम बिकता ,
माल विदेशी अब दिल में है।
बापू तेरे सपनों का भारत ,
आज बड़ी मुश्किल में हैं ।
सत्य अंहिंसा तुझको पाने ,
ढूंढे हर महफ़िल में है ।

दो के बदले पांच कमाए ,
पांच के ऊपर दस मिल जाए ।
कुर्सी सारा खेल ये खेले ,
वेतन भले ही कम मिल जाए ।
कम तोल कर ज्यादा कमाए ,
माल भले मिट्टी ,बिक जाए।
भृष्टता अपने चरम पे चढ़ गई ,
ईमान चढ़ा बस बिल में है ।
बापू तेरे सपनों का भारत ,
आज बड़ी मुश्किल में हैं ।
सत्य अंहिंसा तुझको पाने ,
ढूंढे हर महफ़िल में है ।

(लाल बहादुर शास्त्री )

एक सीमा पे करे रखवाली ,
एक का मन खुशियों से खाली।
खेत , रणखेत के मालिक दोनों,
फिर भी बने हुए हैं हाली ।
खून पसीने से सींच-सींच कर,
धरती को जो स्वर्ग बनाए ।
उस किसान और उस जवान का ,
मन डूबा, गाफिल में है ।
लालजी तेरे सपनों का भारत ,
आज बड़ी मुश्किल में हैं ।
दुखियारा अब तुझको पाने ,
ढूंढे हर महफ़िल में है ।
बापू तेरे सपनों का भारत ,
आज बड़ी मुश्किल में हैं ।
सत्य अहिंसा तुझको पाने ,
ढूंढे हर महफ़िल में है ।

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