तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा पर प्रभु दर्शन नहीं मिल पाये है। किये थे पूर्व जन्म में अच्छे कर्म। इसलिए मनुष्य जन्म तुम पाये हो।। तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा..। तुझसे पहले कितने भक्तगण यहाँ आकर… Read More

तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा पर प्रभु दर्शन नहीं मिल पाये है। किये थे पूर्व जन्म में अच्छे कर्म। इसलिए मनुष्य जन्म तुम पाये हो।। तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा..। तुझसे पहले कितने भक्तगण यहाँ आकर… Read More
ललायत रहत है अँखियां तुमरो मुखौटा देखन को। जो दिख जाएँ तुमरो सुंदर चेहरा सुबेहरे मुझेखो। तो दिन मोरो निकलत है बहोतई नो नो नो सो। तबाई तो व्याकुल रहात है मोरी अँखियाँ रोजाई।। बहोताई मैं सोचत हो अब तुमरे… Read More
ऊपर नीचे के मिलन से बारिस बहुत हो रही है। बदलो का पर्वतो से टकराना हो रहा है। जिसके कारण खुलकर वर्षा हो रहा है। स्वर सरगम मिल रहे है इससे भी बारिस हो रही है।। इन्द्रदेव भी गीत मल्हार… Read More
बड़ा अजीब सा किस्सा है। मेरे इस मानव जीवन का। न ये हँसता है न रोता है। बस उन्हें देखता रहता है।। देखकर मेरी इस उदासी को। दर्द मेरे अपनो को होता है। जो मुझे समझते और जानते है। वो… Read More
कितना जमाना बदल गया है लोगों की सोच बदल गई है। पर न बदली है गणीत और न बदली है हिंदी-अंग्रेजी की वर्णमाला। बस उन्हें कहने और समझाने में लोगों की सोच बदल गई है। आज भी गणित में दो… Read More
लोग न जाने क्यों मुझे उल्लू सा समझते है। और अपने आप को बहुत चतुर और होशियार। उनकी बातों का जवाब सबके सामने नहीं देता। ये मेरी कमजोरी नहीं है बस रिश्तों का लिहाज है। जिस दिन धैर्ये टूट जायेगा… Read More
आये हो जब से तुम मेरे जीवन में प्रिये। बदल गया है मेरा सच में ये जीवन। बदलने लगे है अब मेरे को सुनने वाले। जब से आया है मेरे गीतों में स्वर-ताल।। बड़ी मुद्दत के बाद आया है ये… Read More
बारिस की बूंदो ने वातावरण प्रफुल्लित कर दिया। सूखी भूमि मुरझाये पेड़ पानी की बूंदे गिरते ही। भूमि एक दम नम होकर पेड़ पौधों को खिला दिया। और इंसानो और पशुओं को गर्मी से छुटकारा दिला दिया।। बारिस की गिरती… Read More
चिराग ये दिलमें जलाओगें तो प्रेम बरसेगा। दिलमें प्यार का उदय निश्चित ही होगा। जो प्रेम को इबादत और साधना समझते है। मोहब्बत का रस पान ऐसे ही लोग कर पाते है।। दिले नादान जो होते है वो प्यार मोहब्बत… Read More
प्रगति के लिए लोगों परिवर्तन बहुत जरूरी है। मूल आधार को छोड़कर क्या ये संभव है। क्या अपनी संस्कृति को बचना हमें जरूरी है। या परिवर्तन के लिए इसकी आहुति भी दे सकते है।। जो भी अपने आधार को समय… Read More