जो दिलमें होता है मेरे
वो ही बात कहता हूँ।
कहकर दिलकी बातों को
सुकून बहुत मिलता है।
इसलिए इस जमाने में
लोग कम पसंद करते है।
पर जो पसंद करते है
वो बहुत अच्छे होते है।।
मैं खुद को बदल नहीं सकता
तो जमाने को कैसे बदलूगा।
और अपनी बातों को मैं
जमाने को कैसे कहूंगा।
जबकी खुदका दिल ही नहीं
रहता है स्वयं के बस में।
तो औरो से क्या उम्मीदें
हम आप कर सकते।।
बड़ा ही दर्द है लोगों
जमाने की सोच में।
जो न खुद जीता है
और औरो की जीने देता।
लगा है घाव दिल पर तो
उसे और वो खुरोंदेगे।
पर उस पर महलम वो
कभी नहीं लगाएंगे।।