women in ghughat

बस हॅंसी हैं वो तो होने दो नज़र में मेरे नइं।
यूॅं किसी से झूठ कह दूॅं ये हुनर में मेरे नइं।।

तुम कहीं अपना चलाओ जाके जादू हुस्न का।
औरों को होगी ज़रूरत तेरी घर में मेरे नइं।।

ज़िंदगी तो एक धोका है फ़ना होंगे सभी।
हैं मुसाफ़िर सब कोई साथी सफ़र में मेरे नइं।।

सच हमेशा कहता हूॅं मैं लड़ता हूॅं सच के लिए।
बस ख़ुदा का डर है डर दुनिया का डर में मेरे नइं।।

जो अगर कुछ सीखना है तुमको मुझसे ऐ ‘निज़ाम’।
तो अदब से पास बैठो मेरे सर में मेरे नइं।।

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