फूलों के जैसे मुस्कुराई बेटियाँ
भंवरों के जैसे गुनगुनाई बेटियाँ
माँ, बेटी, अनुजा और तिय के रूप में
रिश्ता वो सभी से ही निभाई बेटियाँ
बेटे की चाहत में यूँ माँ-बाप ने
फिर कोख में ही मार गिराई बेटियाँ
वर-दक्षिणा ना मिलने पर ससुराल में
फिर जाने कितनी ही जलाई बेटियाँ
दो कुलों की वो लाज होती है मगर
लगती है क्यो सबको पराई बेटियाँ