आधुनिक काल में हिन्दी दलित कविता का प्रारंभ सितम्बर 1914 में सरस्वती में प्रकाशित हीरा डोम की भोजपुरी कविता से माना जाता है।जिसका शिर्षक था’अछूत की शिकायत’–“हमनी के इनरा से निगिचे ना जाइलेजापांके में भरी पीअतानी पानीपनही से पिटि पिटि… Read More
आधुनिक काल में हिन्दी दलित कविता का प्रारंभ सितम्बर 1914 में सरस्वती में प्रकाशित हीरा डोम की भोजपुरी कविता से माना जाता है।जिसका शिर्षक था’अछूत की शिकायत’–“हमनी के इनरा से निगिचे ना जाइलेजापांके में भरी पीअतानी पानीपनही से पिटि पिटि… Read More
शुक्ल ने न केवल इतिहास लेखन की बहुत ही कमजोरपरम्परा को उन्नत किया बल्कि आलोचना के अतीव रुढ़िग्रस्त और क्षीण परम्परा को अपेक्षित गांभीर्य और विस्तार दिया।डॉ.नगेन्द्र जहाँ रीतिकाल को पुनप्रतिष्ठित करने की भरपूर कोशिश करते दिखते हैं,वहीं शुक्ल वहाँ… Read More
जातिवादी विमर्श की शुरुआत आदिकाल से ही है, भक्तिकाल में इस पर जमकर प्रहार हुआ,रीतिकाल में जातिवादी विमर्श पर कुछ भी नहीं दिखलाई पड़ता है। आधुनिक काल तथा स्वतंत्रता आंदोलन के समय यह जातिवादी विमर्श, अंग्रेजों के लिए एक बहुत… Read More