पिछले 4-5 दिनों से हमें बेजोड़ गर्मी से मुँह में बहुत ज्यादा छाले हो गए हैं क्योंकि आजकल हम संस्कृति
मंत्रालय, भारत सरकार के प्रोजेक्ट पर काम कर रहें हैं और भयंकर गर्मी में भी झाँसी जिले के गाँवों और
कस्बों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवनी लिखने जा रहे हैं। इतिहास लेखन का ये मेरा पहला अनुभव है
और इससे हम बहुत सारी जरूरी बातें सीख रहे हैं। हद से ज्यादा पड़ रही है आजकल। इस गर्मी में जीना
मुश्किल हो रहा है। ऊपर से हमाओ बुंदेलखंड पठारी इलाका है तो यहाँ दूसरे इलाकों की अपेक्षा गर्मी कुछ
ज्यादा ही पड़ती है। गर्मी क्यों पड़ रही है ये भी बताते हैं हम – क्योंकि हम मनुष्य पिछले 3 – 4 दशकों (30 – 40
सालों) से भोगविलास और आरामदायक जिंदगी जीने की होड़ में प्रकृति और पर्यावरण से लगातार
खिलवाड़ करते जा रहे हैं। सारे दुनिया में अनियंत्रित बढ़ रही आबादी के लिए रोटी, कपड़ा और मकान आदि
जरूरी जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगलों को काटते जा रहें हैं। पेड़ों को बचाओ और पौधों को लगाने के
हम नाममात्र के दिखावी प्रयास कर रहे हैं। अपनी भोगवादी सुख – सुविधा के लिए फ्रिज और ए०सी० का
हद से ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं। भारत देश के दिल्ली, मुम्बई, कलकत्ता जैसे महानगरों समेत वर्तमान में कस्बाई
नगरों में भी फ्रिज औए ए० सी० का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। गांवों में भी लोग कस्बाई अमीरों की नकल
करते हुए फ्रिज का प्रयोग कर रहे हैं। सूर्य से आने वाली जानलेवा पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करने
वाली ओजोन परत को सबसे ज्यादा नुकसान फ्रिज और ए० सी० से निकलने वाली सी० एफ० सी० –
क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस ही पहुँचा रही है। सी० एफ० सी० से ओजोन परत में छेद हो गया है। जिससे
जानलेवा पराबैंगनी किरणें सीधे हमारी धरती माता पर आ रहीं हैं और दुनिया का तापमान बड़ा रहीं हैं।
दुनिया का तापमान बढ़ने से यानी वैश्विक तापन – ग्लोबल वार्मिंग होने से हद से ज्यादा गर्मी पड़ रही है और
अप्रैल महीने में ही हमाए बुंदेलखंड में लपटें और लू चलने लगी है। 45 – 50 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर
तापमान पहुँच रहा है गर्मी के मौसम में। इतने ज्यादा तापमान में जीना मुश्किल है। यदि ऐसे ही हम मनुष्य
प्रकृति से खिलवाड़ करते रहे और उसकी रक्षा हेतु नहीं जागे तो 50 – 100 साल के अंदर ही ये दुनिया खत्म हो
जाएगी। इसलिए यदि खुद बचना है और सबका जीवन बचाना है तो प्रकृति से नाता जोड़ना होगा। हमारे इस
नारे ‘प्रकति की ओर लौटो’ को ध्यान में रखकर अभी से हर काम करना होगा सबको। फ्रिज की जगह माटी
के मटके का और ए० सी० की जगह कूलर का प्रयोग सभी को करना होगा चाहे हो राष्ट्रपति हों, प्रधानमंत्री
हों, अधिकारी हों, डॉक्टर हों, वकील हों, अमीर हों या आमआदमी हों। जब सब लोग माटी के मटकों और
कूलर का प्रयोग करेंगे और ज्यादा से ज्यादा पेड़ – रूख लगायेंगे और जंगल – डाँग बचायेंगे तभी दुनिया बच
पाएगी और हम सब भी बच पायेंगे।
झाँसी की लेखिका साथी आशा ठाकुर ने भी ठीक है कहा है कि भोगवादी और एशोआराम की चीजें
खासकर ए० सी० और फ्रिज बहुत बुरी हैं। ये सही बात है। इन सबमें लिप्त होने की बजह से हम लोग प्रकृति
से कोसों दूर चले जाते हैं। प्रकृति से दूर होने से कोई भी इंसान अचानक आए बदलाओ को झेल नहीं पाता
और तब बीमारियां घर कर जाती हैं। हमें प्रकृति से जुड़ना चाहिए तभी बेहतर होगी हमारी जिंदगी।
हमाओ बुंदेलखंड हर मामले में आगे है। हमाए बुंदेली लोक में हर मर्ज की दवा है। मुँह के छालों से छुटकारा
पाने के बुंदेलखंडी नुख्से बहुत अनोखे हैं। जब हमने अपनी दादी – बाई रामकली कुशवाहा किसानिन को
बताया कि बाई हमें मों में भौत बेजां छाले हो गए तब बाई ने बताई कि सिसेन्द बेटा! ऐतबार / रविवार –
बुद्धबार / बुधवार खों दही या मठा से कुल्ला कर लिज्जो और कुल्ला करकें तिगैला या चौराए पे बुलक
आजजो सो ठीक हों जें तुमाए छाले। जब हमने अपनी दोस्त, बकालत की साथी दिव्या तिवारी से बात की
तब उसने भी दादी जैसा उपाय बताया। जब हमने पापा / पिताजी किसान हीरालाल कुशवाहा से बात की तो
पापा ने बताया कि सतेन्द बेटा! कत्था और पान खा लेना जिसकी ठंडक से छाले ठीक हो जें। आज सोमवार
खों हमने कत्था और पान खाया जिससे बहुत आराम मिला। तीन दिन से अंग्रेजी दवाई खा रहा था जिससे
तबीयत में कोई सुधार नहीं हो रहा था ऊपर से छाले और फैलते जा रहे थे। हमने आज 17 अप्रैल 2023 को
दही भी खाया लेकिन दही से कुल्ला बुधवार को करेंगे। झाँसी की लेखिका साथी प्रीतिका बुधौलिया ने भी
मुँह के छालों से छुटकारा पाने के ये नुख्से बताए – : अमरूद की कोंपल चबाने से भी मुंह के छाले ठीक होते हैं ;
चमेली के पत्तों का रस लगाने से भी मुंह के छालों में आराम मिलता है; सादा पान खाने से भी मुंह के छाले
बहुत जल्द ठीक हो जाते हैं। अतः इस प्रकार मुँह के छालों से छुटकारा पाने के बुंदेलखंडी नुख्से ये हुए –
१. रविवार और बुधवार को दही / मठा से कुल्ला करना चाहिए और कुल्ला करके किसी तिगैला या चौराहे पर
बुलकना चाहिए।
२. कत्था और पान खाने से भी मुँह से छालों से छुटकारा मिल जाता है।
३. अमरूद की कोंपल चबाने से भी मुँह के छाले ठीक होते जाते हैं।
४. चमेली के पत्तों का रस लगाने से भी मुँह के छालों में आराम मिलता है।
अब हम सब लौटते हैं प्रकृति की ओर…।