यह समाज तुम्हारे लिए कांटो भरा पथ होगा
पर तुम डरना नहीं, हाँ पर हर बात पर झगड़ना भी नहीं, जब तुम बाहर जाओगी न तो……
सबकी निगाहे तुम पर होंगी………
तुम कहाँ जाती हो..?
क्या करती हो….?
किससे मिलती हो…?
बहुत से सवाल होंगे, तुम बेफ़िक्र रहना इन सब से, समाज के सारे नियम तुम निभाओ
जरुरी नहीं तुम वही करना जो तुम्हारी नजरों में उचित हो…… हाँ अपना नजरिया उत्तम रखना
तुम अपने खुद के कानून बनाना
हर कीमत पे उसे निभाना
बहुत से ज्ञानी लोग तुमसे दोस्ती को आगे आयेंगे
तो जाँच परखकर हाथ बढ़ाना
हर ज्ञानी विवेकानन्द नहीं होते
समाज में हर कोई तुमसे वैसा ही व्यवहार
करेगा जैसी तुम अपनी छवि बनाओगी
चाहे जो हो जाए धूमिल मत होने देना
अपनी सुन्दर छवि को…..
हर सवाल का जवाब तुम दूसरो को दो
जरुरी नहीं पर अपने हर कदम का जवाब
अपनी अन्तरात्मा को जरुर देना…..
तुम स्वतन्त्र होओ स्वच्छंद मत होना……
 
	

