पत्रकारिता में प्रतिक्रिया : एक पाठक की कलम से” में समाज चेतना के विविध प्रसंग
साहित्य समाज का दर्पण इसलिए है, क्योंकि समाज की वास्तविक स्थिति को विभिन्न माध्यमों से साहित्य ही सार्वजनिक करता है। साहित्य को समाज परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम माना गया है। जो पाठक प्रतिक्रियावादी होता है। साहित्य में प्रतिक्रिया समाज को प्रश्न करना सिखाती है। पत्र लेखन की विधा गद्य साहित्य का एक अंग है। लेकिन अखबार पत्र-पत्रिकाओं पर प्रतिक्रिया स्वरूप लिखे गए पत्र अखबार और पत्र पत्रिकाओं के लिए टॉनिक का काम करते हैं।

इसी प्रसंग में डॉ.जसवंत सिंह जनमेजय द्वारा लिखे गए प्रतिक्रियावादी पत्रों की पुस्तक “पत्रकारिता में प्रतिक्रिया: एक पाठक की कलम से” का संपादन डॉ. ममता देवी ने किया है। यह अलग तरीके की और खास पुस्तक है। स्वराज प्रकाशन से 2023 में प्रकाशित इस पुस्तक में संपादक के दो शब्द, लेखक द्वारा भूमिका, बधाई पत्र और खंड 1 में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संदर्भ, खंड 2 में कला, साहित्य और सांस्कृतिक संदर्भ, खंड 3 में बुद्ध-अंबेडकर-दलित प्रसंग, खंड 4 में विविध प्रसंग शामिल हैं।

खंड 1 के सामाजिक राजनीतिक आर्थिक संदर्भ में विभिन्न और समसामयिक विषयों पर 34 टिप्पणियां हैं जो कि तत्कालीन सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक स्थिति पर बेबाक सवाल करती हैं। ये टिप्पणियां विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।इसमें कुछ विषयों की महत्वपूर्ण टिप्पणियां भी शामिल हैं। इनके विषयों के शीर्षक  समाचार पत्रों की मुख्य पंक्तियों की तरह हैं। जोकि शीर्षक से ही पाठक को पढ़ने को मजबूर करती हैं।

ये अपनी टिप्पणी में समाज और सरकार की कमजोरी को रेखांकित करते हैं। इनकी टिप्पणियां नवभारत टाइम्स, राष्ट्रीय सहारा, शुक्रवार, इंडिया टुडे, आउटलुक, युवा संवाद, बहुजन केसरी, धम्म दर्पण, इंडिया न्यूज़  तथा हिंदुस्तान इत्यादि समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई हैं।

इस खंड में राजनीतिक नोंक-झोंक, नैतिकता, शिक्षा, चुनाव, हिंदी का विकास, धर्म और जाति, नेपाल की राजनीतिक हलचल, अंधविश्वास, नक्सलवाद तथा अराजकता इत्यादि पर टिप्पणी की गई हैं।

कला, साहित्य और संस्कृति खंड 2 में विभिन्न विषयों पर 72 टिप्पणियां हैं, ये टिप्पणियां – अक्षारम, संगोष्ठी, नवभारत टाइम्स, राष्ट्रीय सहारा, इंडिया टुडे, आउटलुक, हंस, कथादेश, युद्धरत आम आदमी, लोकायत, समयांतर, वागार्थ, कथाक्रम, कांति, व्यंग्य यात्रा, कथन, कथा संसार विशेषांक 2004, उत्तरांचल पत्रिका, द संडे इंडियन, इंडिया न्यूज़, नया ज्ञानोदय, कथन पत्रिका, हम सब साथ-साथ, प्रवासी टुडे, परिकथा, अभिमूकनायक, प्रबुद्ध जगत, दलित साहित्य वार्षिकी 2001, गरिमा भारती, सीनियर इंडिया, मड़ई वार्षिकी 2005, शैक्षणिक संदर्भ, जगमग दीप ज्योति, युवा संवाद, चौथी दुनिया, पाखी, सरिता, विश्व स्नेह समाज पत्रिका, नई दुनिया, सर्व शांति पत्रिका, विपाशा, लाइफ पॉजिटिव, योजना, शब्द प्रवाह, का, साहित्य रंजन इत्यादि में प्रकाशित हुई हैं।

इस खंड में उनकी ज्यादातर टिप्पणियां साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं में अधिक प्रकाशित हुई हैं। यह साहित्य के माध्यम से और पठन-पाठन के बाद प्रतिक्रिया के तौर पर समाज के समसामयिक सवालों को उठाते हैं। यह प्रश्न करने का सशक्त माध्यम भी है। इसमें विभिन्न साहित्यिक गतिविधियां का प्रतिवेदन, साहित्यिक विभूतियों पर टिप्पणियां, साहित्य और समाज के सवालों पर प्रतिक्रिया, समकालीन साहित्य पर चर्चा समीक्षा और आलोचनात्मक टिप्पणी, लेखक के पढ़ने का दायरा इत्यादि शामिल है।

पुस्तक के खंड 3 में बुद्ध-अंबेडकर-दलित प्रसंग में कुल 66 टिप्पणी हैं। ये टिप्पणियां – नवभारत टाइम्स, राष्ट्रीय सहारा, सामाजिक न्याय संदेश, बयान, प्रबुद्ध भारत, दलित हितैषी, अश्वघोष, हम दलित, वायस ऑफ़ बुद्धा, नई चर्चा, अंबेडकर युग, भारत टाइम्स, सौभाग्य, अंबेडकर टुडे,  गरिमा भारती, अंबेडकर मिशन पत्रिका,  अपेक्षा, समता संगठक, संघ दर्पण, कथादेश, बहुरि नहीं आवना, बहुजन न्यूज़, प्रतियोगिता दर्पण, फॉरवर्ड प्रेस पत्रिका, शुक्रवार, हंस, सम्यक पब्लिक भारत, अर्जक संघ समाचार पत्र, भीम क्रांति इत्यादि में प्रकाशित हुई हैं।

इस खंड की टिप्पणियां ज्यादातर में लेखक ने अपने विचार को लंबी भूमिका के साथ उकेरा है। वे समसामयिक विषयों का मंथन करते नजर आते हैं और विषय वस्तु के निष्कर्ष पर पहुंचकर एक दिशा दृष्टि प्रदान करते हैं। लेखक की टिप्पणियों के विषय शिक्षकों और शोधार्थियों के लिए संदर्भ का काम करेंगे। डॉक्टर जसवंत सिंह जनमेजय की साहित्यिक टिप्पणियां ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।  वे परिष्कृत अंदाज में टिप्पणी लिखते हैं। समाज के महत्वपूर्ण जरूरी सवालों को भी छोटी छोटी टिप्पणियों के माध्यम से उठाते हैं।

पुस्तक के खंड 4 ‘विविध प्रसंग’ में कुल 26 टिप्पणी हैं। ये टिप्पणियां – नवभारत टाइम्स, समतावादी भारत पत्रिका, इंडिया टुडे, आउटलुक, राष्ट्रीय सहारा, कत्यूरी  मानसरोवर, विज्ञान प्रगति, बयान, शिक्षा विकास परिषद, हिंदुस्तान, जनसत्ता, शुक्रवार इत्यादि में प्रकाशित हुई हैं।

इस खंड की टिप्पणियों  में विविध प्रसंग हैं जोकि सामाजिक राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।

About Author

One thought on “पुस्तक समीक्षा : पत्रकारिता में प्रतिक्रिया : एक पाठक की कलम से”

  1. उत्कृष्ट समीक्षा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *